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१२. तए णं सा
मियावई देवी
जयंतीए
समणोवासियाए
सद्धिं
जहा देवाणंदा (स. ९ उ. ३३) जाव वंदइ नमसइ, वं. २ उदयणं रायं पुरओ कट्टु
(as described in Ch.-9, Le.-33, St.-12).
बहूहिं
ठिया चेव जाव (स. ९ उ. ३३) पज्जुवासइ ।
[१२] तत्पश्चात् वह मृगावती देवी, जयन्ती श्रमणोपासिका एवं बहुत-सी कुब्जा आदि दासियों के साथ श्रमण भगवान महावीर की सेवा में देवानन्दा ब्राह्मणी के समान पहुँची (श.
९,
उ. ३३ के अनुसार) यावत् उसने भगवान को वन्दन - नमस्कार किया फिर उदयन राजा
को आगे करके समवसरण में बैठी और उसके पीछे स्थित होकर ( इत्यादि सब वर्णन श. ९ उ. ३३ के समान समझना चाहिए) यावत् पर्युपासना करने लगी ।
खुज्जाहिं
12. Queen Mrigavati, with Jayanti shramanopasika, surrounded by her numerous maids, including the hunchbacked, Shraman Bhagavan Mahavir like Devananda Brahmini (as
approached described
in Ch.-9, Le.-33)... and so on up to... paid homage and obeisance. She than sat behind king Udayan... and so on up to ... commenced worship
[१३] तए णं समणे भगवं महावीरे उदयणस्स रण्णो मियावईए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महतिमहा. जाव धम्मं परिकहेइ जाव परिसा पडिगया, उदयणे पडिगए, मियावई देवी वि पडिगया ।
कर्मगुरुत्व - लघुत्व सम्बन्धी जयन्ती के प्रश्न और भगवान द्वारा उनका समाधान
[१३] तत्पश्चात् श्रमण भगवान महावीर ने, उदयन राजा, मृगावती देवी, जयन्ती श्रमणोपासिका और उस विशाल महापरिषद् को यावत् धर्मोपदेश दिया, (जिसे सुनकर ) यावत् परिषद लौट गई, उदयन राजा और मृगावती रानी भी चले गए ।
JAYANTI'S QUESTIONS AND BHAGAVAN'S ANSWERS
13. Then Shraman Bhagavan Mahavir gave his sermon to king Udayan, queen Mrigavati, Jayanti shramanopasika and that large assembly... and so on up to ... the assembly dispersed. King Udayan and queen Mrigavati also left.
१४. [प्र.] तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वं. २ एवं वयासी - कहं णं भंते! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति ?
भगवती सूत्र (४)
(252)
Bhagavati Sutra (4)
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