Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 500
________________ 8 5 5 5 5 5 5 95 95 95 95 95 95 95 95555555555555555555555558 55555555555555555555 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95595955955955959595958 असद्भाव वाले दूसरे देश की अपेक्षा से असद्रूप - उभयरूप होने से अवक्तव्य है, ६. एक देश की अपेक्षा से असद्भाव पर्याय की विवक्षा से तथा दूसरे देश के सद्भाव-असद्भाव रूप उभय- पर्याय की अपेक्षा से द्विप्रदेशी स्कन्ध असद्रूप और अवक्तव्यरूप है। इसी कारण (द्विप्रदेशी स्कन्ध को) ऐसा (पूर्वोक्त प्रकार से) यावत् कथंचित् असद्रूप और सद्-असद्उभयरूप होने से अवक्तव्य कहा गया है। 28-2. [Q.] What is the reason for this (a bisectional aggregate is perhaps existent )... and so on up to ... perhaps non-existent and perhaps inexpressible ? [Ans.] Gautam ! A bisectional aggregate (dvipradeshi skandh) (1) is existent in context of its own form (attributes); (2) is non-existent in context of other form (attributes); (3) is inexpressible in context of both forms (attributes); (4) is existent with reference to its existent section and is nonexistent with reference to its non existent section; (5) is existent with reference to its existent section and is inexpressible with reference to its inexpressible section; and (6) is non-existent with reference to its non existent section and is inexpressible with reference to its inexpressible section. That is why this (a bisectional aggregate is perhaps existent)... and so on up to... perhaps non-existent and perhaps inexpressible. विवेचन-प्रस्तुत दो सूत्रों में परमाणु- पुद्गल एवं द्विप्रदेशी स्कन्ध के सद्-असद्रूप सम्बन्धी. भंगों का निरूपण किया गया है। परमाणु पुद्गल के असंयोगी तीन भंग होते हैं - ( १ ) सद्रूप, (२) असद्रूप एवं (३) अवक्तव्य । द्विप्रदेशी स्कन्ध के छह भंग होते हैं जिनमें तीन असंयोगी भंग पूर्ववत् सकल स्कन्ध की अपेक्षा से (१) सद्रूप, (२) असद्रूप और (३) अवक्तव्य है और तीन द्विकसंयोगी भंग देश की अपेक्षा से है, (४) द्विप्रदेशी स्कन्ध होने से उसके एक देश की स्वपर्यायों द्वारा सद्रूप की विवक्षा की जाए और दूसरे देश की पर - पर्यायों द्वारा असद्रूप से विवक्षा की जाय तो द्विप्रदेशी स्कन्ध अनुक्रम से कथंचित् सद्रूप और कथंचित् असद्रूप होता है। (५) उसके एक देश की स्वपर्यायों द्वारा सद्रूप से विवक्षा की जाए और दूसरे देश से सद्-असद् उभयरूप से विवक्षा की जाए तो कथंचित् सद्रूप और कथंचित् अवक्तव्य कहलाता है । (६) जब द्विप्रदेशी स्कन्ध के एक देश की पर्यायों द्वारा असद्रूप विवक्षा की जाए और दूसरे देश की उभयरूप से विवक्षा की जाए तो असद्रूप और अवक्तव्य कहलाता है। से भगवती सूत्र (४) (436) Bhagavati Sutra ( 4 ) फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ5555555 * 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 95 95 95 95 95 95 8

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