Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 517
________________ 5555555555555555555555))))))))))))))) the number of infernal abodes in the first hell and their area has been detailed. रत्नप्रभा के संख्येय (संख्यात) विस्तृत नरकावासों में विविध विशेषण-विशिष्ट नैरयिक जीवों की उत्पत्ति से सम्बन्धित उनचालीस प्रश्नोत्तर QUESTIONS ABOUT BIRTH OF INFERNAL BEINGS IN INFERNAL ABODES OF FIRST HELL WITH LIMITED AREA ६. [प्र.] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवइया नेरइया उववज्जंति ? १, केवइया काउलेस्सा उववज्जंति ? २, केवइया कण्हपक्खिया उववज्जंति ? ३, केवइया सुक्कपक्खिया उववज्जति ? ४, केवइया सन्नी उववज्जंति ? ५, केवइया असन्नी उववज्जति ? ६, केवइया भव-सिद्धिया उववज्जंति? ७, केवइया अभव-सिद्धिया उववज्जंति? ८, केवइया ॥ है आभिणिबोहियनाणी उववज्जंति ? ९, केवइया सुयनाणी उववज्जति ? १०, केवइया है ओहिनाणी उववज्जंति? ११, केवइया मइअन्नाणी उववज्जति ? १२, केवइया सुयअन्नाणी उववज्जंति ? १३, केवइया विभंगनाणी उववज्जंति ? १४, केवइया चक्खुदंसणी उववज्जंति? १५, केवइया अचक्खुदंसणी उववज्जति ? १६, केवइया ओहिदसणी ॐ उववज्जति ? १७, केवइया आहारसण्णोवउत्ता उववज्जति ? १८, केवइया भयसण्णोवउत्ता है उववज्जति ? १९, केवइया मेहुणसण्णोवउत्ता उववज्जति ? २०, केवइया 卐 परिग्गहसण्णोवउत्ता उववज्जंति ? २१, केवइया इत्थिवेयगा उववज्जंति ? २२, केवइया पुरिसवेयगा उववज्जंति ? २३, केवइया नपुंसगवेयगा उववज्जति ? २४, केवइया कोहकसाई उववज्जंति ? २५, जाव केवइया लोभकसायी उववज्जंति ? २६-२८, केवइया म सोइंदियोवउत्ता उववज्जति ? २९, जाव केवइया फासिंदियोवउत्ता उववज्जंति ? ३०-३३, केवइया नोइंदियोवउत्ता उववज्जंति ? ३४, केवइया मणजोगी उववज्जंति ? ३५, केवइया ॥ वइजोगी उववज्जति ? ३६, केवइया कायजोगी उववज्जति ? ३७, केवइया सागारोवउत्ताक उववज्जंति? ३८, केवइया अणागारोवउत्ता उववज्जति? ३९ ? [उ.] गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया के उववज्जति १। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा काउलेस्सा म उववज्जंति २। जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा कण्हपक्खिया उववज्जंति ३। एवं सुक्कपक्खिया वि ४। एवं सन्नी ५। एवं असण्णी ६। एवं भवसिद्धिया भ७। एवं अभवसिद्धिया ८, आभिणिबोहियनाणी ९, सुयनाणी १०, ओहिनाणी ११, 555555555555555555555555 5555555555555555 | तेरहवाँशतक: प्रथम उद्देशक (453) Thirteenth Shatak : First Lesson &5555555555555555 5 555555555

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