Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 540
________________ 8 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 20 फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ 卐 नैरयिकों में सम्यग् - मिथ्या-मिश्रदृष्टि वाले नैरयिक जीवों के उत्पाद, उद्वर्त्तना एवं विरहित - अविरहित की प्ररूपणा BIRTH, DEATH AND EXISTENCE OF RIGHTEOUS, UNRIGHTEOUS AND MIXED INFERNAL BEINGS १९. [प्र.] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्से सु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु किं सम्मद्दिट्ठी नेरइया उववज्जंति, मिच्छद्दिट्ठी नेरइया उववज्जंति, सम्मामिच्छद्दिट्ठी नेरइया उववज्जंति ? [ उ. ] गोयमा ! सम्मदिट्ठी वि नेरइया उववज्जंति, मिच्छद्दिट्टी वि नेरइया उववज्जंति, नो सम्मामिच्छद्दिट्ठी नेरइया उववज्जति । १९. [प्र.] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में से संख्यात योजन विस्तार वाले नरकावासों में सम्यग्दृष्टि नैरयिक उत्पन्न होते हैं या मिथ्यादृष्टि नैरयिक उत्पन्न होते हैं, अथवा सम्यग्मिथ्या (मिश्र) दृष्टि नैरयिक उत्पन्न होते हैं ? [उ.] गौतम ! सम्यग्दृष्टि नैरयिक भी उत्पन्न होते हैं, मिथ्यादृष्टि नैरयिक भी उत्पन्न होते हैं, किन्तु सम्यग्मिथ्या (मिश्र) दृष्टि नैरयिक उत्पन्न नहीं होते । 19. [Q.] Bhante ! Out of the 3 three million infernal abodes, in this Ratnaprabha Prithvi (the first hell), in those having countable Yojan area, are righteous (samyagdrishti) infernal beings (jivas) born or unrighteous (mithyadrishti) infernal beings are born or righteous-unrighteous (samyagmithyadrishti) infernal beings are born? [Ans.] Gautam ! Righteous (samyagdrishti) infernal beings (jivas) are born, unrighteous (mithyadrishti) infernal beings are also born but mixed ones, righteous-unrighteous (samyagmithyadrishti) infernal beings are not born. २०. [प्र.] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्ठी नेरइया उव्वट्टंति ? [ उ. ] एवं चेव । २०. [प्र.] भगवन् ! क्या इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में से संख्यात योजन-विस्तृत नरकावासों से सम्यग्दृष्टि नैरयिक उद्वर्त्तन करते हैं? इत्यादि प्रश्न । भगवती सूत्र (४) (474) फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ Bhagavati Sutra (4) 4 ******फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफळ

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