Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 611
________________ 55555555555555555555555555555555555558 चित्रों के माध्यम से साधक की प्रमुख आवश्यक क्रियाओं को सुन्दर तरीके से प्रस्तुतिकरण किया गया । इस प्रकार 24 जिल्दों में 25 आगम तथा कल्पसूत्र प्रकाशित हो चुके हैं। प्राकृत अथवा हिन्दी का । साधारण ज्ञान रखे वाले व्यक्ति भी अंग्रेजी माध्यम से जैनशास्त्रों का भाव, उस समय की आचार-विचार, प्रणाली आदि को अच्छी प्रकार से समझ सकते हैं। अंग्रेजी शब्द कोष भी दिया गया है। • पुस्तकालयों, ज्ञान-भण्डारों तथा संत-सतियों, स्वाध्यायियों के लिए विशेषरूप से संग्रह करने योग्य आगमों का यह प्रकाशन कुछ समय पश्चात् दुर्लभ हो सकता है। इस आगममाला के प्रकाशन में परम श्रद्धेय उत्तर भारतीय प्रवर्तक गुरुदेव भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म. की अत्यन्त बलवती प्रेरणा रही है। उनके शिष्यरत्न जैन शासन दिवाकर आगमज्ञाता उत्तर भारतीय के प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी म. द्वारा सम्पादित हैं, इनके सह-सम्पादक हैं प्रसिद्ध विद्वान् श्रीचन्द सुराना। अंग्रेजी अनुवादकर्ता हैं श्री सुरेन्द्र बोथरा तथा सुश्रावक श्री राजकुमार जी जैन। LIYNATI KARAN परिशिष्ट (543) Appendix &55544444455555555555555555555

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