Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 507
________________ 855555555555555555555555555555555555558 ____with reference to singular and plural); (16) perhaps existent, perhaps non existent and perhaps inexpressible - being both (atma and no-atma); (17) perhaps existent, perhaps non-existent and perhaps many inexpressibles - being both (many atmas and many no-atmas); (18) perhaps existent, perhaps many non-existents (many no-atmas) and perhaps inexpressible - being both (atma and no-atma); (19) perhaps many existents (many atmas), perhaps non-existent and perhaps inexpressible - being both (atma and no-atma). . ३०-२. [प्र.] से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-चउप्पएसिए खंधे सिय आया य, नो आया य, अवत्तव्वं तं चेव अढे पडिउच्चारेयव्वं? [उ.] गोयमा ! अप्पणो आइडे आया १, परस्स आइडे नो आया २, तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तव्वं. ३, देसे आइटे सब्भावपज्जवे, देसे आइढे असब्भावपज्जवे चउभंगो, . की सब्भावपज्जवेणं तदुभएण य चउभंगो ८-११, असब्भावेणं तदुभएण य चउभंगो १२-१५; . म. देसे आइढे सम्भावपज्जवे, देसे आइट्टे असब्भावपज्जवे, देसे आइढे तदुभयपज्जवे , की चउप्पएसिए खंधे आया य, नो आया य, अवत्तव्वं-आया इ य नो आया इ य १६; देसे म आइढे सब्भावपज्जवे, देसे आइठे असब्भावपज्जवे, देसा आइट्ठा तदुभयपज्जवा चउप्पएसिए में ॐ खंधे आया य, नो आया य अवत्तव्वाइं-आयाओ य नो आयाओ य १७, देसे आइडे के म सब्भावपज्जवे, देसा आइट्ठा असब्भावपज्जवा, देसे आइटे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए 9 खंधे आया य, नो आयाओ य, अवत्तव्वं-आया इ य नो आया इ य १८, देसा आइट्ठा सब्भावपज्जवा, देसे आइट्ठे असब्भावपज्जवे, देसे आइढे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए म खंधे आयाओ य, नो आया य, अवत्तव्वं-आया इ य नो आया इ य १९। से तेणटेणं ॐ गोयमा! एवं वुच्चइ चउप्पएसिए खंधे सिय आया, सिय नो आया, सिय अवत्तव्वं। म निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयव्वा जाव नो आया इ य। ३०-२ [प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहते हैं कि चतुष्प्रदेशी स्कन्ध कथंचित् है म आत्मा (सद्प) आदि होता है? [उ.] गौतम! (चतुष्प्रदेशी स्कन्ध) (१) अपने आदेश (अपेक्षा) से आत्मा (सद्प) है, + (२) पर के आदेश से नो आत्मा है; (३) तदुभय (आत्मा और नो-आत्मा, इस प्रकार उभयरूप 卐 होने से) के आदेश से अवक्तव्य है। (४-७) एक देश के आदेश से और सद्भाव-पर्याय की | अपेक्षा से तथा एक देश के आदेश से और असद्भाव-पर्याय की अपेक्षा से (एकवचन और 卐 बहुवचन के आश्रयी) चार भंग होते हैं। (८-११) सद्भाव पर्याय और तदुभय पर्याय की अपेक्षा के से (एकवचन-बहुवचन-आश्रयी) चार भंग होते हैं। (12-15) असद्भावपर्याय और तदुभयपर्याय | बारहवाँशतक : दशम उद्देशक (443) Twelfth Shatak : Tenth Lesson 0555555555555555555555555555555555558

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