Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 483
________________ )))))))5555555555555 8455555555555555555555)))))))))))))) है जिस जीव के कषायात्मा है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है लेकिन जो सकरण वीर्य रहित सिद्ध म जीव हैं, उनमें कषायों का अभाव पाया जाता है और वीर्यात्मा वाले जीवों के कषायात्मा की भजना है, + है क्योंकि वीर्यात्मा वाले जीव सकषायी और अकषायी दोनों ही प्रकार के होते हैं। म योगात्मा के साथ आगे की पाँच आत्माओं का सम्बन्ध-जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके , उपयोगात्मा अवश्य होती है, क्योंकि सभी सयोगी जीवों में उपयोग होता ही है, किन्तु जिसके उपयोगात्मा म होती है, उसके योगात्मा की भजना है। क्योंकि चौदहवें गुणस्थानवर्ती अयोगी केवली और सिद्ध भगवान में है उपयोगात्मा होते हुए भी योगात्मा नहीं होती है। जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा की भजना है। क्योंकि मिथ्यादृष्टि जीवों में योगात्मा में होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती है। इसी प्रकार ज्ञानात्मा. वाले जीव के भी योगात्मा की भजना है क्योंकि 卐 चौदहवें गुणस्थानवर्ती अयोगी केवली और सिद्ध जीवों में ज्ञानात्मा होते हुए भी योगात्मा नहीं होती। जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है, क्योंकि समस्त जीवों में सामान्य + अवबोध रूप दर्शन रहता ही है। किन्तु जिस जीव के दर्शनात्मा होती है, उसके योगात्मा की भजना है। ॐ क्योंकि दर्शन वाले जीव योग सहित भी होते हैं, योग रहित भी। म जिस जीव के योगात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा की भजना है क्योंकि योगात्मा होते हुए भी अविरत है 卐 जीवों में चारित्रात्मा नहीं होती। इसी तरह चारित्रात्मा वाले जीवों के भी योगात्मा की भजना है, क्योंकि चौदहवें गुणस्थानवर्ती अयोगी जीवों के चारित्रात्मा तो है, परन्तु योगात्मा नहीं है। जिसके चारित्रात्मा होती 卐 है, उसके योगात्मा अवश्य होती है, क्योंकि प्रत्युपेक्षणादि व्यापार रूप चारित्र योगपूर्वक ही होता है। जिसके योगात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है, क्योंकि योग होने पर वीर्य अवश्य होता है 卐 है। किन्तु जिसके वीर्यात्मा होती है, उसके योगात्मा की भजना है, क्योंकि अयोगी केवली में वीर्यात्मा तो है, किन्तु योगात्मा नहीं है। यह बात करण और लब्धि दोनों वीर्यात्माओं को लेकर कही गई है। जहाँ करण : के वीर्यात्मा है, वहाँ योगात्मा अवश्यम्भावी है, किन्तु जहाँ लब्धि वीर्यात्मा है, वहाँ योगात्मा की भजना है। उपयोगात्मा के साथ आगे की चार आत्माओं का सम्बन्ध-जिस जीव के उपयोगात्मा है, उसमें ज्ञानात्मा की भजना है, क्योंकि मिथ्यादृष्टि जीवों में उपयोगात्मा होते हुए भी ज्ञानात्मा नहीं होती और जिस ॐ जीव के ज्ञानात्मा है, उसके उपयोगात्मा तो अवश्य ही होती है। इसी तरह जिस जीव के उपयोगात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है और जिसके म दर्शनात्मा है, उसके उपयोगात्मा अवश्य ही होती है। जिस जीव के उपयोगात्मा है, उसमें चारित्रात्मा की भजना है, क्योंकि असंयती जीवों के उपयोगात्मा + तो होती है, परन्तु चारित्रात्मा नहीं होती और जिस जीव के चारित्रात्मा है, उसके उपयोगात्मा अवश्य ही फ़ होती है। जिस जीव में उपयोगात्मा होती है, उसमें वीर्यात्मा की भजना है, क्योंकि सिद्धों में उपयोगात्मा होते ॐ हुए भी वीर्यात्मा नहीं पाई जाती है। )))) ) 355555555)))) | बारहवाँशतक: दशम उद्देशक (419) Twelfth Shatak: Tenth Lesson

Loading...

Page Navigation
1 ... 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618