Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 17
________________ १४५ १४६ १४७ १४८ १४९ १५० १५१ १५३ १५४ १५५ १५६ १५७ १५८ १५९ दश प्रकारके प्रत्याख्यानका निरूपण ५६५-५७२ दश प्रकारकी सामाचारीका निरूपण ५७३-५८० महावीर भगवान के दश महास्वप्नोंका निरूपण ५८१-५८३ दश महास्वप्न के फलका निरूपण ५८४-५९१ सराग सम्यग्दर्शनका निरूपण ५९२-५९९ दश प्रकारकी संज्ञाओंका निरूपण ६००-६०३ नैरयिकोंकी दुःखवेदनाका निरूपण ६०४-६०५ अमूर्त अर्थको जिन ही जानते है ऐसा निरूपण ६०६-६०९ जिनमणीत परोक्षार्थ प्रदर्शक श्रुतविशेषका निरूपण ६१०-६१८ नारकादि जीवके द्रव्यभेदका निरूपण ६१९-६२४ भद्रकर्मकारीके कारणका निरूपण ६२५-६३० आशंसा योगका निरूपण ६३१-६३३ दश प्रकारके धर्मका निरूपण ६३४-६३६ दश प्रकारके स्थविरोका निरूपण ६३७-६३८ पुत्रके भेदोंका निरूपण ६३९-६४१ दश प्रकारके अनुत्तरका निरूपण ६४२-६५३ मनुष्य क्षेत्रादिका निरूपण ६४१-६४६ दुष्षम सुषमाके परिज्ञान के प्रकारका निरूपण ६४७-६४८ मुषमसुषमाके कुछ विशेष कथन ६४९-६५१ दश कुलकरोंके नामका निरूपण ६५२-६५३ दश प्रकारके वक्षस्कार पर्वतका निरूपण कल्पके स्वरूपका निरूपण ६५५-६५७ दश प्रकारके प्रतिमा के स्वरूपका निरूपण ६५८-६६१ जीवके भेदका निरूपण ६६२-६६४ संसारी जीवके अवस्थाका निरूपण ६६५-६७१ वनस्पतिकी अवस्थाका निरूपण ६७२ विद्याधर श्रेणियोंके विष्कम्भमानका निरूपण ६७३-६७५ w w w १६० १६१ १६२ १६३ १६४ م ع سر هم ६५४ w १६७ १६८ १६९ શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫

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