Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 05 Sthanakvasi Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar SamitiPage 16
________________ ११८ ११९ १२० १२१ १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ ४२७ १२८ १२९ १३० १३१ जम्बू द्वीपगत भरतादि दशक्षेत्रका निरूपण ४१५-४१६ अञ्जनक पर्यत आदिके उद्वेध आदिका निरूपण ४१७-४१८ रुवकवर कुण्डलवर पर्वतके उद्वेध आदिका निरूपण ४१९ द्रव्यानुयोगके स्वरूपका निरूपण ४२०-४२९ चमरादि अच्युतेन्द्र आदिके उत्पात पर्वतका निरूपण ४३०-४४९ योजन सहस्रात्मक अवगाहनाका निरूपण ४५०-४५२ दश प्रकार के अन्त के स्वरूपका निरूपण ४५३-४५४ पूर्वगतश्रुतका निरूपण दश प्रकारकी प्रतिसेवनाका निरूपण ४५६-४५९ आलोचनामें त्यागने योग्य दोषोंका निरूपण ४६०-४६२ आलोचना देनेवाले और लेनेवालेके गुणका निरूपण ४६३-४७१ प्रायश्चित्त के स्वरूपका निरूपण ४७२-४७४ मिथ्यात्वका निरूपण ४७५-४७७ वासुदेव सम्बन्धी वक्तव्य निरूपण ४७८-४८० भवनवासी देवका निरूपण दश प्रकारके सुखका निरूपण ४८२-४८५ उपघात और विशोधिके स्वरूपका कथन ४८६-४९५ संक्लेश और असंक्लेश के स्वरूपका कथन ४९६-४९७ दश प्रकारके बलका निरूपण ४९८-५०० सत्यमृषा आदिका निरूपण ५०१-५१२ दृष्टिवादके नामका निरूपण ५१३-५१७ दश प्रकार के शस्त्रका निरूपण ५१८-५३७ वाग (वाणी-वचन) योगका निरूपण ५३८-५५० दानके भेदोका कथन ५५१-५५५ गति के भेदोंका निरूपण ५५६-५५८ दश प्रकारके मुण्ड के स्वरूपका कथन ५५९-५६० दश प्रकारके संख्यानका निरूपण ५६१-५६४ ४८१ १३४ १३६ १४० cocccc &000 શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૫Page Navigation
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