Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi Gujarati Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar SamitiPage 13
________________ अनु. विषय पाना नं. 43 आरंभ और परिग्रह मनवाध से धर्माहिलाभ ठा नि३परा ५४ ध हि प्रप्तिमें हो छाराशों छा नि३पारा ५५ होसभयछा और उन्भाडे द्वित्वष्ठा नि३पारा ५६ हो प्रष्ठार ठेऽछा नि३पारा ५७ हो प्रष्ठार हर्शनठा नि३पारा ५८ हो प्रष्ठार ज्ञान ठा नि३पाश ५८ श्रुत यारिव्यठे द्विविधताठा नि३पारा ६० पृथिव्याहिवठे द्विविधताष्ठा नि३पारा ६१ नारठाठिोंष्ठी द्विविधताठा नि३पारा ६२ भव्यविशेषोंठे उर्त्तव्यष्ठी द्विविधताठा नि३पारा ૧૧૭ ૧૨૧ ૧૨૨ ૧૨૪ ૧૨૫ ૧૨૭ ૧૨૯ ૧૩૩ ૧૩૭ १४० टूसरे स्थानठा टूसरा Gटेश: ६३ हेवनारठाठिोंडे उर्भमन्ध और उनठे वेहनाठा नि३पारा १४१ ६४ नारठाठिोंडे गति और आगति ३५ नारठाहियोवीस हंऽठोठा नि३पारा ૧૪૩ ६५ अधोलोठ ज्ञानाहि विषय आत्भाडे द्वैविध्यष्ठा नि३पारा १४८ ठूसरे स्थानठा तीसरा देश ૧પ૪ ૧પ૪ ૧પ૬ ૧૬૦ ૧૬૦ ६६ तीसरे उशिष्ठी अवतराठा ६७ शठे द्वैविध्यठा नि३पारा ६८ पुद्रलोठे संघात और मेरे द्वाराठा नि३पा ६८ शाहिछे मात्त-अनात्त आहिलेहोंठा नि३पारा ७० वठे धर्भ ठा नि३पा ७१ छवढे उत्पात और उद्वर्तनाहि धर्भ द्वैविध्यताष्ठा नि३पारा ७२ भरत और भैरवताहिक्षेत्रठा नि३पारा ७३ वर्षधराहि पर्वतोंठे द्वैविध्यताठा नि३पारा ७४ षद्मघाहिद्रह द्वैविध्यठा नि३पारा ७५ ठालक्षारा पर्याय धर्भठा नि३पारा ૧૬૪ ૧૬૯ १७१ १७७ १८० શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર :૦૧Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 293