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चरित्रारम्भ
ऊ
पहला भव
पर जिन तीर्थङ्करों को नमस्कार किया गया है, उन्हीं के समय और उन्हीं के तीर्थों में १२ चक्रवर्ती, ६ अर्द्धचक्री - वासुदेव, ६ बलदेव और ६ प्रति वासुदेव हुए हैं
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ये सब महा पुरुष त्रिषस्ठि शलाका पुरुषों के नामसे प्रसिद्ध हैं । इनमें से कितने ही मोक्ष-लाभ कर चुके हैं और कितने ही लाभ करने वाले हैं । इन्होंने अवसर्पिणी कालमें जन्म लेकर भरत क्षेत्र को पवित्र किया है । शलाका पुरुषत्व से सुशोभित इन्हीं पुरुष रत्नों के चरित्रों का वर्णन हम करते हैं; क्योंकि महापुरुषोंका कीर्त्तन कल्याण और मोक्षके देनेवाला होता है । हम सबसे पहले भगवान् श्री ऋषभदेव स्वामी का जीवन चरित्र, “उस भवसे जिसमें उन्हें सम्यक्त्व प्राप्त हुवा था" लिखते हैं ।
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ये सब उसी भवमें अथवा आगामी भव में निश्चयतः मोक्ष-गामी होने से शलाका पुरुष कहलाते हैं ।