Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 15
________________ अनेरापासश्समारंसकरावश्नही अनेरान आरंजयापकरतानअनुमादश्नदी तेदनाअदितत्तणी बोधिनाना जासणीया आचारंग अग्निदिवणस्सश्ससमारंसावेश अग्निदिवावस्सस्ससबसमारंसमासमाजाशतसेअदियाए तास तेपुरुषकर्मविवरविशषतावन चारित्रपस्विनी सासलीपरकिमतगवतश्री तीर्थकरतथाणगारसाकमाएकजीवनपदवी जान स्पतिकायनोआरेलअनर्थका नमसमापित रजात अवोदिए सितसंवशमाण प्रायाणीयंसमुहायासाञ्चासगवश्रणगारावातियाश्दामगसिंमायंसर्वति जासमाश्मयधवधर मादा एमा न क प्रणिविषयादिकत्रs६ वनस्पतिमानास्पानश्करीसमारसतेऽकरी an लोकल एसखसुगंटाएसरवजूमोदएसखजुमाशपसखलनिरणाचबंगलियालाए। जमिणविरवहावदिंसबेचिप वनस्पतिशास्त्रसमासतौ दिवसानैवनस्सुनिनेमजीपणा इसपनामशेरनी अनेराबडीयादिकअनेकरूपपाणीयाव्हणे जापाविवासली कस्ले ऊवन उपमादेषानीवनम्पनी स्पतिनासेहपमागचेतनाव सजीवकूद प्रोसि रूपजी पीकतमासन सेलिमेवि०एम स्मश्कम्मसमासांगावणसमसमारंसमारणे अन्नवणेगवेषापविदितावासाबमामलिना सुष्मनोधारीरजातिधर्मजन्मस्वसावि मनुष्यनारीरजिमवृति यापमनुष्मनोशारीरजामसहित निमएवनस्पतीनोशारीरक्षण तथाएम जीपउनेतिमपवनस्पति नामशरख धर्मare विमएवमस्पतिवारी व निजजागरणक्रिोधमानमाया जानानुमारिवऽसिमक्षामा लासलथादिसदितanआदिमर्यादयविकसरीरदस्ता धमतमा धम्मयो एयपिजाइधम्मयोऽम्मपिबुद्धिधम्मयाण्यपिबुद्विधम्मयाऽमविविन्नमतयोण्यपिचिन्नमतामा पुण॥ ८

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