Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 21
________________ wami श तिदावनि सगर्वतश्परिमाप्रवेदर र जीवयन प्रसंसा मानन जान आचारग णनिधणगावपाणविसतितलवखुसगवतापरिमायवेदिना मस्सावबजीवियस्सपरिवंदणमाणणस्य। जन्ममरणसंकाविवानश्अर्थ उरकप्रविधान निमिति, तस्वयामश्वायुसत्र समारंस॥ अनिशपादश्वायुसस्त्र समारेलाव॥ जाईमरणमायणाजरकपरिघायदेगाससयामबवाससमारंति अनिर्दिवाघाउससमारंसावित्र अनेरखवायुसस्त्रसमारंसतउअनुमोदन लेतेदनश्त्रहित अबोधिनीपुरुषवायुसमारंसी मानीमचारिनश्रावरी गताअनधिदेवजोगती - A सदियाघाउससमारतेसमजाति तसेअव्दियाए तसेबादिए सितसंबुशमाण आयागीयंसमुहाए। सो सगत तयाअणगारनई समाविससनी लिगमादिएकमश्रादबाजारप एवायुकायनवसमारसय एमाद एमार एमरका ऊशाकिस थनी बंधनौशाम खासगवाणगाराणवातिए। इदमेगेसिंमायंसवेति एसखलुगंधोएसखसुमेक्षिा एसवसुमारे एसखसुनि प्रणिअघिलोक जमानाप्रकारसस्त्रशंकरीवायुकर्मसमारसह वायुास्त्रसभारतताअमेकरूयागीयाहाणनीविराधनाईअनेराजीबनै धादिषाम ॥ २९च्छेलंगदिए जाए/नमिणविरवशावहिंसवेदिवाउकम्मसमारसेणं वाउससमारंसमाण अनिवणगस्वेपणिवि

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