Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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आवारंग
गिविंगणमनुष्पंजाकविषऽजीविता | मेको धनवजनादिविषःशगवेष को वेगलाकरतिवारैतेस्क दिएकर्मशारीरबाषकिम रमपदवीध्याहारतश्चातूहकदारू समन्तदे०क रागोषरदि श्म यातिदनीनवेष्टिविनिच्छिदए नीकल्पनायापारिदए कर्मवारीशकमलपीयोश पोमरतकवनपतेकढ़ती चापोर स्तिएतावतायंगारश्मदोष ताएदवा जाणानप्रीत कपाकुश्मामी बाडि देवउमुनिश्वरपलमुनिआदरीनश रारामुक्तिपीम॥ पीतस्वा साविकरमरहितंनी रदितएलूमउआहारमवनेमण सूज आहारज्यश्री
परिकहनी साक्षतके स्वाऊतालिउड़ता सेसारखवा २२ एणिविंदगदिश्दजीवियस्सामुणीमासमादायाधुणकम्मसरीरंगा येतेउदासवेति वीरासमन्त्रदेसिण एसजर्वतर
दतेदनेतरणहारमुतस्वज्ञानातथातिनण्मेसारममुश्यक कदमुक्तिमाया रामनासहिचाने जपज्ञानादि वर्माथीय महपापणामकी मूक्तिननाशादियभनी निममायामा वृक्तविर०सावधपापक्षकीचिश्ताविया पक्ष्यश्रीशाकिर अयाम्पतेमाकरी श्रीनिवाहिली आलीया कवनिकरी तोकाई कहियाका विषप्रवप्न समार्गप्ररूपैमागुणको श्वकापाकतिसमापिसमलीपरिकलादिवजेएवं नमीत्राता भेकमविवालवालापागजए समय।शुक्ष्मामा एमबी० एसधपरूपक सेवेगी कोर कमविदारिवासनथा
विसंसली कंपरिकलादि खाननाअन्ताधकनावपातपात्वालवलीको बोसरुपीनसकाया विधियणसदितनीतिक दवच्यासा सावकदरवारमूहामधषारिवाना
अHANकिणदी। समितिले मुनाविरहियादिनिबमिोबाउचमुगारणामाप उच्चपाविलाईवनप/एसवीरपसंसिए श्रावति। जेलोकसेयोगकहता प्रारमपरिहायश्च तापम जरक०मा०णिजगमोहिमनुष्यनज० नस०करुति स्वनाकसलनिणधर्मकघालधिमपनसमम णिवावलोऽहमने एषाएपाथमुक्तिनमाग्रीनथाश्ववनपदेवशयकामुक कहताजेउपनौकारणमिथ्यावअविरतिश्रमादी यमाआपउयचीदारीपथावादीतथाकारीपदवानमपरि, विशेषकर नयापककदी॥ ॥ दितीर्थकरइकक।
मंजपरिमाप्रत्याख्यानपरिनामुदादरतिकदलीपझपाश्मी। बासरागनीमाउपदेस उसत्यपरपऽ तिसत्पजालिवाऊसला
क्लिपकार लोगोजागीएसणाएपद्धतिशउरकपावदितीक्षमाणवाणं तस्सऽरकस्स असलापरिस्नमुदाहरति प्रतिक कर्मप्रकारपरिणायकहतासंसारमउकारणामबसोकस्त।सर्वप्रकारकरीतिहाप्रवनमहीतकेदवारण जान्नकदमा जिमपूर्णकदताशर सहायकहतानि |मीकहतीयथावस्चितपदार्थ नवस्वरूपदेषज्ञता मेश्रानाशमेकहतीस्मृतिमामिश्रकी अभिरश्वामिरहनजेमण जातिकलादि के करी चक्रवर्तिब मराककाधना नारामकक्षतागaaमावदेशाविनाअन्पत्रिभरमा मिश्रणानसीकदती श्रीलगवक्षनाउपदेवशयकामअनिरउनदेषज्ञासदवादअामालतीकरयाबारपाद एसले सम्पक्त नौस्वरूपककदिवइधर्मप्ररूपतमरागवेषरहितधर्मकसैरहवादेषामना॥
वादिकधर्मकक्षीयतहागान प्रमयरिलायसवासा जअमान्नदसी सत्रशालारमिजणानाराम सित्रणलदंसी जहासुन्नस्सकनति तदाब १५

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