Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 46
________________ बदक हप्ताकार संग संगतिदरान सी सिराजा सोए कहूतीनि संत मतिजा०क० जेल उपनाम लिला गया सिलादिन बेजा । एवक वागु बी अ॥ "एपतिक दब नियंथ बाह्यासं तथारविहार तिने मदा रुपयी मद्यसनी कर्कशता जा० सदा इजागरका प्रमाद वैरिको कमी तरग्रंथरहित द्वारा स्त्रसंयम विषरति कवारपणेति भवेयइ एसावतादेरुनिरहिततथा वैकरुतो विदारिवासम सेयमविष कारतिर बिषमा फल इस जगत ने परीमद् परअपकारी हवासा "नाऽषतेसुइज करी जाईतो उनकी उन निवृत्ती दिवानी राल इ घ्यावहसाए संगम रिजारपति | सीउ सिचाई से भिगांथे। पर तिरतिगृहे फरुसिंघनो वदति जागरवेशेवर ए| वीरे एवं शिष्यनैव प्रदेश का 505] जराम जेवियर प्रमादी तौला सपनिरंतर सुदेवमूढमोद मोदान विमेना०धर्म | पासिया यावर किं कर्तव्यतामृढ एवाप्रणी मेलाक सुरा प्रादरी सित पण कानड़ाई तेजराम रानमिनि मानि जा राइ | इस जो पीसकर यदेिषी प्रम विवर5॥ | होम निमंत‍ को मुकादम विश्वं विधिगुण थकीत नरेकनरमनुष्य अनेक सारीरीमानसीक ऽखिकरी ॥ वपरीत ते स्वरूप कब ॥ मइ ॥ दूध उजणी दे घरकामुञ्चसि ||a: | जरामञ्च वसोवणीय नाव | सततं | मुटे | धम्मं | नारिजाइ | यासिया चार पाणेाप्यमन्त्री परिद्वय मंत्रा विप्रापण जाग एससारिमादिपरिचम रूप कुछ मायी मायावत मादावलीग पाम) उबदे माग हे वाहता रूप व एतावतायत तेस्फं रुक करि रथ की अपनी जान लोक वलीमरेली जन्म्यो ताजिक पाय रहित दिविषय उपेक्षमान राग देकर मके ॥ रिजेदसली хак निकाईकर 5 जेाइमएराथ की काइ एयं मतिमंदा सच्चारेले जं| इस्क मिशांतिभ्चा | माथीप मायी । उलारतिगज्ञ) आवदमाऐ मद्दहरूबे | अंजूरालिकी | मर करइलेक कामकरी जेप्रमादतिदां पापकर्मथकी उवरणनि वीरकर्मीविदा रिवा इसमर्थ ते केवयुतात्मा एक नेपर्यवजात सखक दता शादिविषयसेवा ताली दिव अजमंत्र करजखे खेदजनि। दिवेजे खेद जाणिहिंसादिका रियनुष्टानते हम विपुल जतेस्पउल पाम्पतेकदै ब5 ॥ यथावस्वी तत्रान्पथा कार (नाएइ) पदव॥ शापमुद्धति मत्रो कामेदं । अवर तो पावकम्मे हिं | वीर चाय गुत्रे जखेपले || वः निपजवसृतिसञ्चरसारख्य

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