Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 67
________________ यापकर्मकरीसायद्यानुसामेश्मा अस०सावधानुष्ठानतिजसरणसुषमठका मनुष्मजाकविषयकणुिकीनऽविषयकषाय सेनेविषयगएकजनमती शशिकार तपाकरतापन तिकरइसजाउमक रणमानजनकवेदनानरकारिगतिवियर निश्चयीकताएकाकीपोचमिवमाऽधरणा नकाजवाराजाकपरावजमान कkिasasमा ॥ सागवश्वजीवविषकन॥ परिवारमारुतीपरिवारजकारविषश्मवीन सके सबीनपलकोक्ता या। 4734 तिकारवाएकजउदोमतिकरुबीऊतिक हैas अगवादीन उमेनकही प्राचारग दिगारमनायविदिक मेदित्रिमरणासरणतिमतमरिणादमेगेसिएगधरियासर्वतिसेवजकोहाबऊमाण/बजमा ३४ सा सर्वश्रारादिक जिएस्वीतेबऊ नटनीपस्तो बशायणा बसंकल्पधाणामनमा तिहिंसादिआप्रवधिप०आमाधोएवा व आपणधर्मावरगनविश्ववपूछ। मानन्धरेशम अष्ठबना रजबकपाप गाविस प्रकारका अवसायविषश्वरासत कम पुणतस्पर्मबी नबोलाएतावता उच्चारित्रायोजनएकवळचा नाकारका विवरबऊलो जालिवषधर॥वामूबी जैरहवा शपश्तकदम नश्लवपुरमाथववमानीय कार्यकरतादे कामनबीव्हतउकिमप्रवाईतकहरनबहसली बकालालाबऊराताबडाबऊसदिबसंकाप्पासवसकी पलिबनिहितवादवादीपवयमाणमाम बन्नकार्य श्रअमानव दोषश्करी मतं निरंवासमायबर्मनजाणश्वमा अक्षामानविषयकषायनिकरीनव्याक अग्रतेकवणाअलख मित्रवतमम्पनिक नपवापिया कहती जीवतकोटकारिविष॥ २तकापासष्टानयकामानित कोविद्या०मिनपरधर्मानुशामविषयकितनी कर। हबा किसी अदरकु अनाणापमाटशिक्षणासययोमूवमेनालिजाणनि अहापयामाणवकम्माकावियाजअपवरयात्र परवा अविद्याऽतानदर्शनवारित्रथकी विपरी आवसंसारवहन विषादटिकानेम्पाशापय इतिथीनाकसाराध्मयनिषधमीवहिवाकसमाप्ताहिदीनौपदसोपारसीया तमामुमोकसंसारमउपरक हिमचर्ममा विज्ञानकर इतनश्कादिगतिविषश्चलानमकर पादलवसरएकवषितिपन्नणसापद्यावष्टानध्यकी विरतिनश्श्रमाविमा MAधर्मजागतास्परयाम्पERSamमत्राधमास्वामकाजरप्रतिज्ञा जमवारमानिकहायधमकसमाद्यानुनसाकधारमकाल मिपिसिल्पा या सूत्र॥ श्री: 1॥ ॥ श्री ३५ गुवरया अविझापालिामास्कमाजावटामवअणुपरियतिनिबिमि इतिश्रीलाकसाराश्यवषयमावदेसक://

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