Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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श्राचारंग
९सामा पानखादिमत्वादिम चतुर्विधमहारा
जिमिया पायरवा पीवानकल्प अथवा मनेरो ईप्राधकर्मा जम्० जेदपरिदार बिसु विकइत्यादिक चारित्रियानो ऊंप मिले कनांवे या बच दिशेषष्टमार मनकल्प एक गृहस्त रहो प्रकल्पकतामा चारख९६वना करिबातली मने रहला | १तक हितध्यावती विशेष कदम ॥ किमा योग्य. वयोवचकरा
कारचा
पाख
५|| सोनवा पात्र एा । मालवा एयप्पगार | ब| | जस्मा | लिरकुस
परते। श्रप्पः तेन किनथी बौखलान उतपकरी सकती हवाला सामने व्याव व जांगी। एतावता निर्जरान इका रपि नेरेवारित्री म्याक्तकरो यथायोग्यवेया वचक रिवासमर्थ एवारित्रिय की अवेयाक्सा. वोबि स्पउं एजे चारित्रीया नौच्या चार ते ते चा बाप की मऊ एक अथवा साहमी सरीबी समारचा प्रवर्तते वारपार्जनसक्त परिता करीझाए बापरे प्रवारयधो नकांबली के रूषेमैन ही एनलै अनेरा साहमीनावया क्व करिव आचरल स्वरू निर्झरा ||
पहिला पनि रोदिगि ला रगा अगिला एदि । लिकं रख | मादम्मिए दिं की रमाएं । वियावहियं साइ
को।। दिवाने रामश्वेयावच कर पदवीदाने देवा. ॐ अप०अनेरेवेयावन स्मालीकर यार ते नाउपकारली हवा प्रतिज्ञाकरी | सरिता कुरिवासी जनकल रहा आपकी लाइन पर कहने परे प्रतिज्ञा स्वाइन ही हिवै प्रतिज्ञा विशेष जणाविवासणीच उल उम्दनश्वे यावचकर 15 मजे हनक कुंब रहवामा लागि गीदेवा ॥ सूत्र ॥ अथी। लानै निर्जरा जालीसा धर्मिकन इवेया वचकरु झिम्मामि देवा विश्वलुप मिलता। परितत्र रूस अगिला एगा गिलाणस्स | लिकंरकसाधम्मियस्स | का | एक कोई साझ ६वी प्रतिज्ञा करते स्पंजे दाने राजा नसा धर्मिक नै थियाहारादिकगवेषीच्माणि तथा अनेर उ साथ एद वीतिज्ञा करे अनेरा पायथायोग्य वेव्या वचक रिपेअरि साहमीच्या एप माहारादिक नागचिस्प 31 जेनेरानाहारमा लिप करप्रति ज्ञान सांग जाणिव ॥ १ एप्रथम सांगउ ॥
बिया विडियेक राहु परिलं | प्राणिरिक स्मामि च सातिधिसामि ॥२॥ प्रादुपरिन्तं प्राण
यह

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