Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 68
________________ त समेतलाकश्मणलाकविषयमारमजीवीसावधाकानिष्कृयामाकदाज पंकमश्ाधारिरहतीपंकजनीपरि मावद्यारंभकर्तव्य को तेमावद्यारसवपार्य वर श्री गृहीतविषनारंजीवीश्पक्षलाईफकासावाषनरस्वविष निविजया था। कहासावद्यापनगदस्वविषA METERSOविउपरतानि उकर्मषपावनउ जाणीसा दिदनिवीक्षवश्यधिनिखद्यदोषरदिप्तसाककनिहारने उपजीव" असमातिधर्मवद्याकी निना अवचिता समाप्त प्रावतीकयावंतालागंसिरणारंमजीवि पातसुाचवणारंसजीवावरए तशासमाए अयं एप्रत्सवगाचशयाषिचमुकलाप प्रायश्व एमधिप्रस्तावअतीतकालिपधारीरपोप्रस्तावपश्चाग्पादित मार्यअपमन्याश्यामच्या माध्यञ्चलीमहज धर्मपातिवासणीमपाए। तिसमवेगरुपामअवसरतेश्रद दी। एस्वावविशयागा मिश्कालिएक्लीएरुवाकृस्परतावताकणिचार्यश्रीतीर्थकरश्वविद्यम उविशेषकदा ककणमात्रप्रमादनकर उरदेवीकाणएकप्रक्षानरूषप्रमादनक एवउपर्यायपासूतश्दीसापडमचादिकावस्ताईकाईनही साफेकरीमा जेश्म ने पुरुषममाघरिसमल थामने अलगवेषाओवातप्रमस्त था। सूत्रताडार अनियएहवावियरुवारीन' अयसधिति अदख जमस्सविगतस्मात्रयंकणेनिऋलिसि/एसम्माग अायरिएदिपवेदिति अतिनीय प्राणीमाऽरक प्रमश्मुषप्रतिकरजोगीमा अनेरमसोगवाणिलोकमादिमा डरकपणाप्रवद्यापनाला तिमनारसजीवीप्रत्पकमुषहरकाम मृषावादअणबोलतवाणापरिने पतावलाजारकमुषमापणाऊपासित नवममुष्पामुणकन्नूप्रश्नओसी आपकामनकर्मसोगविय वसायारहवाणियानश्माना दनप्रयदमियमअमेवार सोगवश्वभिरामटकीय॥ प्रायश्वजनिटसणीश्म जालीफकरिवजकत्रकारकशकरहिंसमरियटाल देव॥ प्रायमाणिजपुरकापनेयंसाया उढोबंदी प्रमाणवाआदाजरकेपादित साविदिंसमारण प्रणवद्यमारण -पुरीसुदउपसर्गफपप्रेरएतावता पनि सम्पयपदीयकहतासाची दिवपरीसनसहिवउकयनच्याधिनवसदिवउकब ३० कदाचितसाकनातकशीघ्रजीवितनाद रसतोऊतीतस्पर्शरू सम्पग्रसदा ज्यानौव्यापारवपारपा छीता जेपापकर्मनविपरवान एतावतापापथकीनिवशालाक्षारसूलादिकव्या विविवाषाऊसेतिकपी पडवअनाकलपण विविधप्रकारेकरी कक्षः॥ करा टोपासेदि विषाणारनए एससमिथा।परियाय/विद्यादिपजेश्रसन्ना पावेदिकम्मेदि उदाजातवार्थकाफुसति

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