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लोक चन्द रजात्मक विषइते घातप्रमाणि नरकाद्यतिविषेऽरकरूप महानयदेषि सन्जेलली अना दिसवाल्यास विशेष मानवमनुष्पकाम लोगनै विषयास ते रेणकवण की लो जिवाशील विवेक व नैक जाए वा कमवि कथकी भूलय कोई तिलिकालिकामात जेपाम केदकले व कमनेक वारिवधविनाशा जीवकर्म की अपना घर सुनाएल स्पञ्जका जैत्राणिधानादिकमेक एक वगबतिलक ती बलर हित निस्सार उमतादिगला पाम तिवा शिष्य कहबसव रश्मी व नघा डुरक कपजे एकर्मन महालया प्रमादपर करीब एक पारिक शरीर एक मूर्ख ॥ लिव इमली स्पासली उपदेसियक
लिसंति (पासाला एमव्हज्ञयं | बडखाऽजे तावा | सत्ता का मेदिमा बा| बालरण | बदंगचं तिसरीरण | पतंगुर
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