Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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अदाआयुष्मारहातिमकनाईयामधर्मपीडवाना किंजजश्तश्कपमानशरीरदीवउतेज्ञीन ऊरवसुनिश्चीतस्पर्शअादियासीनसकउंसिणिकारजिमादरबारी
प्राणनघुकंदर्षनउबिकारक्षमजी लिज्यो।पसइएदवश्काइश्वलनउबजीते एकपतिशमकव्हेशन
जमशातव्यापश्यअनिवाचीतापमउस्मश्नधी विधारमा
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मोवतालाजस्पर तस्माशिअगणिकाट हाजिता यजालसा कायंत्रायावसावा ययावेझावासभित्रायटिलिहा आगमन्ना श्री धन्यमाकजएस्वातीतादिपरीसमस्यास्यासमकही जिसरस्वनइममिविपरीतअभिप्रायऊपटालिबश्यक | सिपजेमिचारिबीयप्रतिमापतिपत्रमा प्रतिबाधा मुधर्मास्वामिजवपतकमाइतिश्रीणि उस कुदाचिस्त्रीनउउपसर्यकपनसउवहानसादिक वाजिनकल्यात्रियस्वधराउएतत्यामउवल विमाकाध्यनिहत्तीयाशांकसमालेः॥३॥श्री: मरणकरिवउपरते नयनसेवानवअनाचार नकरिखएवउमा त्रिणिवत्रउपरोविन थोरापन तथावउपात्रएक हिवैचायापारतीयश्व॥
कर
॥३॥ लिपावनियोगसमप्रकारले ऊतचा
पाबा अाणविणाए । निबिमि विश्री मोक्षाध्ययानातीयोउदेशकासमाश:|३||जनिक विदिवाछिदिया।

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