Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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सेनिवारित्रीयमनिष्पासाय अथवाचिष्जाकद अथवानीमीयमावश्यामलीलथईबासाअनवा स्मशानविषशा मान्यवरविषा यापर्वचनीयुकाई॥ वानिशकासावरक० विघर। साविषयसलाविचरेअथवामार्यनयालिबाश्रीत
धाकउतरष्टाक अकिहाश्तेकर
al /la सिलिरकपरकामछाना विद्यावाणिसिएकाबा त्याहजाद्या सुमारणसिवा सल्लागारंसिवा गिरिगुदसिधा अथवारूपनलि॥ अथवासकाश्नीसानाविषई। ऊरखाकदनानिधियामादिकनबाहिरलषदेशिएतलस्वामकेवर्तनासाकमकोईगपविसमीवि अहाआयुष्मा
आचीकहइतस्फकइतवारवाहविलसम्पदृष्टीसाकमायाचारग्रमाणपदवउपदन। श्रमणजस साकउदेशीका
सारसमुदत स्रकमलेसिया ऊरोसोययासिवा ऊरचावाकदिविविदरंमाण तालिन अवसंकमित्र/गादावती बुद्या श्रा रिवान अति लाषीअम्हारश्कानि अचान पान खादिम स्वादिम स्त्र पात्र॥ कंबल॥ पादaan
उसातासमा अदखलुवया असणवा पाणवा रखाश्मंदा सामना कळवा परियादवा कंबलेवा याय रतलाशनाक्षिकउदेश
स व समारती मदीना इमक कीसमोल पा० अनेरापामै नयाबलात्कारक अपारकातही अल्पात आणीना । घणी प्राणा
|स्पासणीअसनादिकन मारेलिग्रवस्पनाशपजे लेडीउधारोलीनराधारानी अनुमतिवाचनामावलाघरथकीमाना रतलेकरमाबालगोगोपालजागा
निअबिजकरूवार अवगोवा पाणावताशंजीवाशंसत्राशसमारंसासमुदिस्य कीयायामाबड़ी अणिसिहअसिकाया प्रालीनचे आ आ० उहाश्रय सम्मुकश्यकीपारसी एनसनादिकजीमाम्हारेकरावयाचवसमिककतमत्रार्थनमाणिचारित्रि गरुपतिएकवीचचमकतामनसेदितव पाकरमनजिकरीमस्तकमीचमकरीव यादीनचितवने निषेधवातकापाउस अायुषान् अम चमस्तितेस्पतशेरहवंउकस्तिकिम । नयसहितकदाउम्॥
ललिशा
देषामबह दावातमिश्रिावसधंधा समुस्मिणा मिसजदावसदाउमाता)समणा निषु तगादावति समण संपद)

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