Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 66
________________ मानवस्वान ह5 जागा जपरिज्ञा 51 प्रत्याख्यानपर असं ज्ञाई समयानम्प इंडिस तेहनइससा भनाइ ॥ २परिज्ञातन परमाइजी एप प्रत्यारमा पापा प्रतिसमा नै मसार पर हो || कारण अर्थनरूपम सय सम्पर्क । ममरणाचामाद २॥ [ समयपरिजा | संसार परिन्नाति सवति संसयंत्रापरिजाउ | संसारेप लेक निघुडा प्रेमनन सेवैमनिक्वनिकायाइजेत्री रचना सयधकी स्पंकरते करे इसे बि० मंद मूर्षन एबीजी ना लता चाज्ञान जपाम्पाईकामसोगा पातकामसेो विधिक नन सेवते यथा स्वतसमार कटु-एकांतिक प्रसंगकरीना कहिये एक मकार्य की जानपरमा० बाहिरकरे। गमविपाक नायकीपा गुरु गीताबीज बालपण जाणिव जाइब तामपिलिति आलोचन सञ्चादिकमे कम से इसे वीना तिव्रते कार्य ते सिकरिवहन कानगोपारमस्फ द॥ ही रिणात लवति। [जाबएससागारिया पासव | कटु । एवमवि जाण | बितिया | मे दस्सबालया | लाऊरक्षा | प मिल विषय मेमा अनर्थजाली ग्रा० च्या तापाञ्चनेरा प्रतिऽमक दिवाविषय विवाम मासिववश ह। तथापय की परिश्रमक ऊं उरुष परम्पराम ॥ । क्वनशिष्य प्रतिजा विप्र दिवतेजक है || होलोका पा०वेष करु ष रूपा दिईदियना परि०क० जीनतादे षडते बायका विषय ६ इंडिय विषय विषगृतत्परमकमविपाकनरका विताइए जर्गतिक संसार कर्मपरिए दिदी मानकन इविष॥ तरूपस्पर्श बबली२पम इतेक ए 5 स्वयाम हवामान विषय सं० मिला बना लेबी मलय तिवर्शनिक समारमोदिन मिय कहीयते हवितावना के एक नदी तक ब रूप संसारापरिज्ञानदि वइए कि मजा थियइइलाई संसार' जाएधतेकद दाए। आगामना | प्राणावा णावासवरण | शिब मि||बः || पासद एगे सावसु गिर६ | पशिरिमा | रफा कब जेतना किया० के ईकोन विषयास० जेसावधानुष्ठान करइडरक लोगवश तल गुस्तदेषाडव जी ने रादेषाम एते ० क ० ९ सावधान इविष प्रवर्ततागृह विष बारीनि वह्निरका जिवन्ती श्री वा पासादि व्यलिंगी घारे जीवी थाइ साबधा नुष्टानप्रवर्तने ४९ वाखामा श्रास्वा वेगल रहे तीर्थंकरदर्शनी बेगल र जेससारसमुना तारणा व्यसम्म पानीविरतपरिणामतीकर्मनड्ड ९३०३ राइअरिताषितसय मन विषय बाल अजान रागद्वेषादिकपरित पमान पीडा त ॥ उदइते पुल साव द्यानविषेजव राम उखक दिव35 प्रदेषा ब ॐ स| पुणे पुणा । श्रावंती कार्वती ॥ जागसि आरंजीवी । रात सुचवत्र्यात जी वी एच्चविद्याल परिपञ्चम र

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