Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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State
खेलो लोक दर दयामरुपते न इषजागी समस्त जीवनेऽपवतूलनधी जं तिवी रामवीर कर्मविदारणसमपनं सम्यकूनी प्राप्तितियंचगतिरुधीयासक्तिसंयम पातीच्याऊषा श्म जाएगी तिमक है जिम ने दूने ख उपलेन हीनतेनापन यानि आप माना० मोहति दी जा एकल विसोधर्मादिदेवलोक पाइप ठेवली सल जिऊपजी भ्रमण पानी नरकन कपजे ते किम देता । करुती मोगल कम मतिमुजातिरविमान कूपने पति की चीम नुष्य जन्म पोमीसा धर्मादरी सर्वकर्म यथ संयोगधन उत्राचारीरादिन संबंध बोई॥ कामोऽयि रिपरंपरा पते। नावकरन तिजी० जी सय्यदीर्घायुष यम वादनावली विशेषक देव
रंपरा जाइतेक॥
म डरकाला गस्स जा शिक्षा | वंताला गस्स संजोगं जंतिधी रामदा जाएं | पारणपरेजति लावकं रकं तिजीवितं एगविवि
यूरोपक एक अनुतानि बेर्धियोषण निरादर्शनादिषयादवम्पता सही बताती करामेावी पेकिता लोकन्नजीव ासाइंजिनव जाणितिम करिवै। जिमच्ाक तो सूर्यक वात वि० नरादर्शनमाद् मुधिया को पावइपिकार लि॥ षितडागमन अनुसारियो निकायरूप ॥ नीयादिकषपाव ॥
चनानुसारिं
क्तिकर5॥
हतां किसाईनिमित्य कर्ज जी बने सय ऊपजै तिलय वास्तु की पजेश न विशेष कह ब
माए | जातविगिंच पुढेोविधिमा ए) एवं विचिर| सही आणायामव्हावीला गेच आए अलिसामञ्चा
सहस्त्रव्यकीपणादि। अ० संयमते परेण कहता एतावता तीज मंदपण देषै तेमान उदेप5 इि
वाजे को रिश्तेमानकरी उन्नत व ि। दिव जेमा नदेषतिमायादेष निमायादेष॥
तेथ रेप करतो तीक्ष्य की तीक्षबै नथी। हिवैक्रोधादिविपाक्परमा श्रीछा की जाए निराई मांता दिविपाकदेषस्पनाच क हैन । अपरमार्थध की मर्थ देव
कार लिनेक्रोध देसी सेनादेसी ॥
पशा
कुलये| सिपारणपरं । नचित्रसचे परे एपर जेका दर्दसी (समाण देसी | जे माण देसी / सेमायदंसी/ प्रेमायदे बेलोलन देQ || जेलोलदेवतेवेकदती प्रेमदे जे प्रेमदेष ॥ दोषदेष
तिमी द्वेषशाख जेमो देवश॥ मोहजन कारण
तेगदेबइ ॥ जे देव ||
बइ ॥
इस देषइ ॥
सी (सेलो सदंसी जिला लदेसी सेपेज दसी जिया दंसी | से दोस देसी से मो ददसी जेमोदसी मेगशदंसी जंगशदंसी

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