Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 53
________________ ता सादिक समारत असदिततेप्रसारजीवनव्यमापरिर्वधनमाननजना जसिक जिगैयरिदमादिनिमित्तएकरायके १० उपसर्यव्याविषन गोकापकहतामा पासिकन्देषिकर्तव्याकर्ममविवकैकरी अवधारितेस्क । सणी दिसाविश्वज्ञा बापनापमा मदेकरतेयात्मानहितमहावकरीकरम्प ऊजमतिबधाइछि एउवसानीआदिधक पारसीजेअर्धककलेविनारि (हिबजेरायथेषरहितअप्रमततेदनशुलक असतो ध्यप्रतिगुरुकहब जमविधारितलाकमाहिादविक उभिगमनयोग्पना आचारग दामाद क जानारिकसहित अहोशियाकही यातालाया चादराजघमाणलो कृतस्नीया. जोकदेषिव न अपचकहती विस्तारमरक 00 वियरसपरिवेदशामारगरणश्यणायजसियागयमादिता उरकमन्नाणसुवामाकंकासिमदविणलोयालायातिधमनुष्यदेव लिनेमिकस्तासुधर्मास्वामिक बैकमेकूऊ दिवैवस्मोपारसीयबानिसैचारित्रीयासम्प३ सेवेताकदलाते जानादिसहितमाकोनावमणकारातयामानमाया| मणयकामुकाई जमवीरसमाविसल्फतिमकप्ली। तिनकसयमपालवैकनिसंयमकषायनेगहिवयास वजीवस्था लोमपदमरणदारमाणिवी।इव्हां श्रीसुधर्मस्वामिकत्वज्ञ शीतीनीयाध्ययनेतीयोजदेशकसमाप्त जपर्याय नवर होकहीयनशा सूत्रा रतलेत्रीजीवर्दिसी प्रशथयौ औरस्ताशा लकारकर तीनोअका एवचारमञ्चतिनिबेमि इतिश्रीशीतोश्नीयाध्ययनत्रितीयोगशाकः सेवंताको कदिवामाचमायाचालाने पाच येक जातकपायमा लामवासाक्ष उनकऽव्यतावशकीने पनि पर्यतबीते तेस्मैकलकबोलाया कहिनादिआश्वकारसहनीवमणमारासग सर्वोपार्जित आपणाकर्म REनीनेदणारशदिवेययावस्थितपकपदाधुनी ज्ञानमतिपणाविनामयाऽश्मकुदबी जए जि छाममालायतवासगकेवब॥ काप्रसंयमप्रकalESOESMANCER काइएकपरमाणवादिवस्त सम्पयनकारिजोगौतमबजागा श्रापणापारकापर्यायजागागन सर्वसमा यावतीमाताजेदनअनुसारिख। कारवालासगवतनन्दरमा हिवर्तमानपदार्थमा लैतिरकघटादिकवर जागतिसजिवदिायकहरवेश वापयासगरम दसवस्यमबरस पलियंतकरस्स प्रायाणसगडशिजएगंजाणशसेसवंजाण/जेस सवताक०सर्वधकारिसमादीनसयरस अनेसर्वकास्मिलनयनधीमश्रीमजयगना जेवमासाभुवसायपकानातानुबधियाधानामिक सारमादिपरिचमणधका- विज्ञकहशवली विशेषवेषामश्वशास्त्रा। हिताकपावतिसेबऊक तबघणामानादिकुनमावाजेघणाम विलासरा नमावतिएकननमवितेकिमनमावश्कदैमा जाणइसिएरोजाणाशमचातापमानस्समय साताअप्पमतम्मनविसजिएर्गनाम सेबजनमिजिवनमामिसिणगेमा २१

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