Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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शा
Faisa
नियंनितिकद आमकार्मस्पंश्लेषनकराएदवानसिकरशरीरकन जारीरमीममतामकरै काकरि ओरक्षितपतिमकरिजि होटाकesasजिमजीनिस्सारका या॥'आपापधएकाल348मादिकथकी३९८ ९६३जाए श्रदा वाध्यताप नशामापण मराजी सरीष बार अनि दौलिीचा
विलास पाकस्कीयंनिए अाणिदेगमय्याण मापदाप धुणशरीरीकसेदिप्रयाग जारदि/अपारंग सदाकुलाकाद। पमन्नतिकदलामी शिरिमात्मसमादितमा नदिसश्सवमावश्मजालीशिपमध्यपदेशकदेबविग कारण निरुपमध्यपणनि अस्विरजीवतव्यमान्यायुएदवा मालोचीको बानीसम्मकर नदीमचारिश्रम उपयोगि अकारण त्रतिकशावसायकोषकदियशतिविकिस्बन्ध
शतकाध्यवसायकोषक दयशतविक रूवन परित्यागकरिवनवजाकिस्ताकोषपुरुषमश्शारीरिक
तोक्रोधवास्त्रिविक्रयमाणकंपदितकमाईनिश्चलपंजीलामका अपयुक्त रिवविकेटवतेकदै॥
मानसीकरकउपजश्जीलिय दादायमञ्चति एवंअन्नसमादिए। अरिणादविगिंवको अविकंप्यमारण मनिरुधाआउमापदाए ।ऽखंचजाण आगरा आगामिया नाश्सप्तमनरकस्य विजयदयानथी कप्रत्यकनकविकदमा०क्रोधादिकनेविपाकरकसागवतोपरवरिजि निज तिनिदानकातीपरमसुषनास्वान कालिजऽखयास्पशवीमतवतिनवेदनाक तकरुवाजसत्तेक श्रीतीर्थकरवायदेशिवासितांतकरणएस्याबसाविषयकषायस्पअग्नि ककथाएदवीजालीस्पकरिख निमाणीकधटालि वायाकारीवीरास्वानक॥ स्थानका खाजिनीवको मापशयका निक जीवन
1302पो देशकहै॥ आगामियाडेखनाव करवते लागवज्ञापमा रुपकांखादेवाचिकजोधमकरी मनमरमहीलायला अडागसिरसा उफामाईचा फासलायंचयासविदाणे जिनिवुझायावदिंकाम्मदि अनियागातिवि तजिसणीराविषातिसूतऽ:खीयातहप्तणीवविषअतिविमरवीचनाको इतिश्रीसम्पत्वाध्ययनरतीयादेवाकसमाप्त:श्रीश्रतः।)३ अावी प्रथमचम्पान निपदोनतीकरीमायणपत्रमदीपानीमएतावताकषायनामकरीन यमकशिमकंककबुलीमुधर्मश्वा मिनाक्चनजालिवाजेप्रतेक लैना बताकरामायणपातायताकाधानपशमकरवत्री देवाश्तपको सपूर्णमथमस्वरूपकदियरauमरिअविष्टकरी स्तकला चौथासारैविष॥
सोमवारीएमपी
यादिया सम्हातिधिनियमिसेजलिजासिन्निाबमितिश्रीसम्पकाध्ययनस्तीयोदेशका ||२||ावीलए यादि

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