Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ आचारग पाधिकमेकरी ऊपजेजह लोधी॥ | नमस्त्रकदतीसेयमतेदन अनजेसेयमनिशधादिवीषयअनर्थकरी जाणतेदनसमस्त प्रकम्मस्मकदतीकर्मशक्तिपाणीवारक कम्मकताका समझकरीउपाधि विदेशनिपुण कर्मनाइयथकी अश्तेकदश्व॥ तानरकादिसे सारनथी। संसारकिमयाश्तेक परिचमणाप थाऽजिसकी जीवनालंगी लसिअमनस्सारवयतिनिअसबस्साखअनि सिपावजातसबस्सवयन अकम्मरस ववहाराष्ट्रपविशतिः कम्म। शवम मतिक्रताबविमनपक्षीयवंत कामं कर्मतान्नावरणा, तथा किवारदेषनाश्त्यादि दिसंसारमधकारणा मनउमजेापाणीयानात सबकस्ताउपदेशश्वी दोदितेहिंकदारागवेषश्करी कर्मग्रनक कसेयमादरी॥ म्पमावएतले तेरोगोषपरदर विवारि॥ अमतस्करिवतेक मनप्रकारपरा गादिकमेधावी देव॥ रगाउवादीलायति कम्मचरिलेहाए कामसूनिधजब पहिलेदियाससमादाय दाहिंधातहिंदिस्समाणे तपशि पतिजारती जोकविषयकवायव्या निकनीसंज्ञाविषयादिवोसावीतेमावीमतिवंतपरिकामयाकहतीमयमनेवि विबीजोऽसोपारसीयश्चरापदिनदेसतावनि समापद प्र क्रिमकूरैमावधीमधामअशिष्यणमेकरीमोकने मायपालिी श्रीरुक जमकऊतिश्रीविशनोलीयाध्ययनप्रथमोउदेशकस जासताजीवकलाही तेहमी विधाकफलकदै सरायुसवः॥ श्रीरककल्याणमस्त॥ १॥ । सूप साथमदायी विदिशालागवतालागसम्बासमहावी परिक्वमिमामिशिाबम्मि तिशीतोश्नीयाध्ययनंप्रथमोपदेशका जातिव्यगुरूशिषपतेऽमकताबाअोशिष्याऽक्षक मनमकपणाममा शवयानेहनत सुश्मतउस्मानम्हालिविक निहिणकारणितिविनोकतीतत्वज्ञापुरमकदतां मोक्ष हताशयमसारमा प्रकाजियुरूपदेवाति तीसरीपश्यायामुपग्रलोचीजाति मानिवाकहतांजोशीमस्मतंदसीकत्तासम्पकवासाचेदिषामादसावद्याल सामग्रीयोग्यदेषिविषकनोयनेमोऽतरफ जाइयवक एतत्परम निमरे जीवनसषवा शासनकरशस्वैिपापमउमूलस्तक्षपासननिराकरियामाणिकदant जपणएबवाऽरकदैषिदेषीमश्तेमकरिनि यतिमानेरा जीवन पुणजाणि ::| जातिवविश्वऊपास मतिदिजााणपहिलेदसातीतम्हातिविकोपरमतिनचा सम्मनदेसीणकरति व

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146