Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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दिवनितालकदासतल सर्वल्य किंवाकाईनमा बीसगर्वतमप्रवेघावते किसयथा परीआवउपक्षवमति तथालातिवाचनदी अदो यतयाधणालदी संदिनकर गवतिकदीsaरालणसाशाहारिमात्राप्रमाः बाविसाव्हारवादिकलदीसाकमा मामनकरा अथपासागिय जिजाउनिहीं इसउनजाणविदाणाइए गोषणापतावनाप्रमाणायतले श्रीयश्वनाकरदॐaविमजिही जाऊ तिव्हीतरी
| कोईयामनदीएवयाविषादने मादरी का जिक्त्रावस्पे॥
करा आचारंग आहाराश्रणागार माटोजाणकासिजदेय सगवयायवेश्यालासोनिमम मा अनलिलिणसाएका/बऊपिलमुरम
परिणयरियदयकीयतावताश्वधयित्मरणयकीय इणभकारियामएकहतीयनात-पाय पक्किमा अाश्रीसग मिणप्रवे/ मेहे णिमार्यमऽविधाइपर्वतमूड कतिपरियधकी आपणयपाउकरशअधिक मार्यमउदेषणहारापरियपरिदर॥ LanA
ऊ सलमादाआपणयउयायकर्मल परियदनकर
थामा पश्नही श्रीगुरुका लिदायरिगदा/अपामो अवसकेका अणदासयासएपरिक्षरेका/एसमग्गारिएदीपावदिशजदेखकसलमा
इमकद निमनीसगवतम विकस्पिनाशतनियारणउकामसागनिरिक्षादिमाटालतांदोदिलप्रतिकामसूकतांगाटाजरककर एहवउतावक | शावपलाय दियामादि) एत मीविसंसल्यादिवश्परियदा खिशकामा अधीसंसारमादिकामविषयाशिलाबार कस्तोमनादाहिनाअनशजी कहतीयाक बन्छ। किवच का नियानविष भामकहतीमारिनसकीया उकामलागवणदारखनुनिश्चय यात्राकषावारीमसकोमा
करणबीमलाप
मर्यादाथ उघव वलिमिजासिनिबमि। कामाउरतिकम्मा जीबीयोऽपरिरक्षण कामकामी रखनुप्रयंपुर्शिस समायझिरतिति कउन्त्र पिट शारीरकमानसिक विवरणाश्परिशीवनादिकउणनकरऽतिविषामायणकादी अनधीवकलबाजी उपजाममुपादारतिकेदवउलोकवियरसव वृथाऽ कऽचीनविय परियपश्चा चाकामसवाथका हलोक मध्यरलोकमउपयंदेवशति हो
लोकनादेपालीकनउत्ताराजालिोकमानसागझिालो तायकरा कारणदीर्घलोधमाजेिकामएकाति
कनेत्रिरत्सागजाणाश्रना पन्निपिचिपरितप्पतिअायतब लोगविपस्सी लागस्सा असागंजाण उहंसागंजापतितिरियतागंनाणतिग २०

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