Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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शाकामसागमविषयासक्तीवसंसारचक्रमादिपरित्रमणकराइसऊजाणीसाकरिवजएउपोदेकदा बंधनधकीचुटौअनेराकामा ज०जेपमिततेजिममादिसरीरमरुधिर बासवि०ऽणिमनुष्यजन्मनऽविषश्सधिकढ़ती ज्ञानदर्शश्चारित्ररुपवसरजाणीननेसंवेगी विषयकपा दिवेधनिबंधुरसकारते मांसादिसपअसारनिमवादिरप्रसार यशपधीरजाणिवाकर्मविदारिवासमधी तथाापस देवमादिकमयमाथायोग्यानेश्न आपणपनेपनमूकाविज्ञानौविशेषक जिमबादिर असा॥
देवा दिएलाए अपरियमाणाधिविदिता इदमविहिएमवीरपससिएजिबछ।पकिमायाजदानोता तब्दावादिन श्यका जाल सदाकतातयादेवमादिअंतरप्रेक्षरितिकृथितस्वितएवादहनी तथाटोकदला आता यमितवधिमतपलिदाएका सेवनेश्वक्किमतिमै सिधानकरी करनेकदैब। ममतेवलीया बीयदक्ष अवस्वाविशेषदेषामना॥
नश्श्रावतश्रवतदिषदेषीत तोपथावस्चितएहन स्वरुप संस्कारोवधियथावन्वितदेवस्व मायकशि
फकरावाजला वनजस्वरूप रूपकामस्वक्षया अषण करे
रुपकामस्वरूपजपरिक्षामा अनैपदेशक
(लीफ्वरवाणपरितापवस्वीफ हकदाऊ दाबाद तहानंती अंतोश्रतोषप्रदेदंतपिपासति तोविसवंताईपंरिरायझिलिहाए सेमश्मायरिमाया माया नागरवली सवायाजेकाशिमानिया मतिपतेसंसारमाकारसरीषाचप्रजानाविरस्पादिविषत्र वततेदनैरदलोकलज्ञानिनष्यातेकदैबकापकदनोएम एणीमायाना किंकर्तव्यानलीवकालो | नमीश्नामक आर्थिालाजपवासी मद। ग्रापणचकलमकरमितम्यानिवाणूनाधारनामा कार्यकाबादिवकरिफएदयोमालपणीचीतबतठई केला जमूढपदव सिव जीउपदै सिलालपचासीस्के दिबियापलिकलपणामकरसरताबना जरवश्व
सादृष्टीन
प्रमुषसरवलुनिश्चय॥ मकदेव महायोजिमबारक्कमुष मानादिकार्थविषअपमनपणकारिजेप्रमादकर
२॥ जलालंपञ्चासी मातेसुतिरच मयाणामावातए कार्सकसे खख/अयं रिसेबकमाईकडेमूहाणातक | कदै॥ जेणापणपानश्वरवक्षारतरफ जमिणण्कदाजदसणीविनासी असारदेवनापोषिवानश्कातिषासाति अमराणकप्ताअमरतालापरिआवरतियामाम कवनयो । कारणपाली लेकरश्तेश्वरव मित्पमतमूत्रनसिंडार
पातादिक्रियाकरे
एतावताकामलोगनशविषअत्पासह वनादि विषयति धार॥
अजरामरनीपरिजियाविषईश्वत्र तयादवडतेदन
स्फेफलतेकवाद
इमजाऊमरम्मनदीप्रमजाणीमहारत का श्लोसंविवश अप्पमा जमिणयरिकदिका मस्सशीचवारिवणयाए अमरायमहासह अमित
.
करशकहनाबारीरीमानमी,

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