Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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आचारंग
२४
जामातापितादिकश्श्रा हजयकदर्शिगात्पतिसमश्यदिलप्रतिदनयरिहरशमनिजकमाई पकदापनपश्चिा परतेस्वज पणासंघातिवसई॥ जाणपश्नई सेसणिण म्हनश्शदिरोगऊपजश
नातेदनई सश्रदथकीबीदतउपरिदर।
बाणसणी समुयतिर्दिवाससिंवसतिशतवाणएगद्याणियगाविपरिदरंतिसोवातेनियएपञ्चायरिदारकानात धाईश्मद बप्तिस्वजनस्जीदम उपणितस्वजननशाणसणी सरणतणीसामर्थनही दिवस: जाणिवमाणमयत्येकप्रत्यकऽस्कअश्वासुख अदीनवि नित्राणततीनियासरणसणी समर्थ रोगव्यातचितवश्वरुषश्सअदलीबी रोगवेदनासदिवा प्रश्हरा दिवदनानी उत्पत्निवलाऽमजाणिवअवसाप नदीधाई तेकदेव॥
राणाकाक्षाकर्मनाफल सायविवउसजागी उरिकवर
कायपणकरिव तवतोरणारबासरणाएवा उमपितिसितिसिं नाल ताणाएवा सरणाएबापवंजाहिलपुरकपझयंसाऊ तथाश्ययावप्रतिकात मोलगsusai तथाप्रदीपस्तिश्रावसरिजाणिते जशयावीनधी पक्षको संपत्तिाधी॥
गायत्रकालावष्यकाविऊस तोजीला श्रोत्रपरिज्ञानकोनमापरि शानदीमथाईन
यत्रकालसावध
दजी सिव असिवंतंचरकनुवयं सोपदाखिजाणादि|डिए जावसानपरिणाप्लादिअपरिदायमादि जाव
एवमेवबलमालयी क्षीणमयाई प्राबल्ल नापरि-तानदीपथाऽनही र समबल जलगी हाणामधाई। नतपरिणामिदि।अपरिदायमाणदि/घाणपरिमादि अपरिहाटामाणदिरसपरिणाणेक्षिअपरिदायमाणे २४.

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