Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar

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Page 33
________________ स विपदासीकर्मकरादिक अभिजुनियाकहतम्या । संबियाणकहना त्रिकरणयो जैतेदन अर्धमान्नाधननवप्र वघ्ष्मंदऋषसामाउट पारीतोऽकरीबनएकवाकर गाडेकरमा । सावयाणकहना करण्या जैतहनाअधमान्नाधन नवप mein थोही अनवाघ तेस्तै विषमतेवरूषर धारले अर्थक दवा मुपतविपदयपदा जोसीयोबर आचारंग ||शाऽपयो वाटचालसिलजियाय समिचियाणतिविक्षणाजावितित्वमशासवति अप्पावाबजयाबासनवगदिया रस सोगविवासणा तिवारपबीतेदनै विविधनानाप्रकारालोग सभापरिराषामहोयणोधनएकच तिदश्यनातेदनौकदा गोत्रीविश्वाल्पर अथवाअदना || जाएदवालोग कदालासद क्ता उगमशामिल्यथा अतरायनश्वदशा हारकहतांचार वस्मा वितिसाटयणाय आमएगदा विविद परिसिहासंध्यामदावगासवतितयिसिणगया।दायायाविनयंतिअदनादर अपक्ष रामादकल्पश॥ अथघाआफणीनासम तयाविनसमनौधा तथाघरनश्बलिवश्धनबले इसिपरिवरुषपरमाई स्यादिविषममान थवाजीवकाधारणीपार अर्थिा करिजा॥ विस शिदास अवहरति रायणिवासेविडंपति सास्सतिवासावणम्सतियासे अगारददिशावासदशातिसपरसाए ६ जाकर एयनविणकामयां ने विषयमविपरीतपणेयाम ऊनिशामुनिश्कतीर्थकरैयाग अशोक वाहसंसाररूपले गविसेदादिक- करता स्वासूदमीच्या दिवशीसुधर्मस्वामिरहना लिकदास्यतेप्रवेद्योनेकदा कतीथी। दौनेदनातरणा लकदवानापासवादिस्वतार रपदबाबताउघसंसा रुकम्मा बाले एकबमाणतिणाऽरकामहे विपरियासमातिमणिणाज एवेयावश्याश्रणा देतराएतिरणा

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