Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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तरीनसकशा लिणिकारिणितिरिवाशनतिणिकारणिस अपारंगामापइणिकारणिसंसारमश्यारिमाश्वान
सारसमुनश्तीस्निाश्वासनधी समवेस्पासणी कारणकदा यवतरित्रए अतरंगमायएशियतीरंगमिन्नए अप्पारंगमाएविणाययारंगमिन्नण अपारंगमापतिमाययारंगमि) मायाकताततेयहीनातेवामिनरक्षाएतावतासिधांत तथाविधकदतीका एहवन निणाऽजवामित्ररसयमरूपीयाविरक्षाएतावताअसंयमजू अजेबाला नमार्यादमिधानश्माबिरश्नही
जगुरुनौउपदेशपामीन विषपूचनऽऽणिकारलिविपरीमाचार संसारतरिवारसमधीक विवेकी वीतरा अविषककसकनिदिचकतमिया शहबजेदयत्पादियविशेषसम्मकुमारणारशेहनश्स्वरूपक है गनाउपदेश
पनि स्वयमेवसा यबापास कहती असतेवकायनाक त्रपाद्याणिवायायायातमि
प्रथमऽरकान्नामिनामविज्ञवसायासगारसरणीच बोल रणकारतेदनाशा जानिक कामसागतेदजमनोज्ञ निदनोऽवसारीमा रवीनतोऽरवनाआवर्तमादिवली परिवर्तनपरिचमणकरस्साणीनीती विश्वविसापासीय उदेशकूदतोमर रागीमा रुझाकरी जागतेकेदव नसीक शानदी रागनौउपदेशातहतकरीयशनिबेमिशासूधर्मस्वामिश्मक जिममधीसग विजउदेशमककामसो कादगतिमा लाकद थाशतकदैवज्ञा सिणिकारणवतममा विश्सास त्यतिमऊकऊंजिवत॥ इतिश्रीलाकविजयाय गालिवाजेटालश्नतिनश्री Mata यानरतायतीजोउदेसका समाप्त संवाथयो: na
गादिपायथाईतेणिवश निद कामस्समुहमाअयमितऽके उरकी उखाणमावस्पुयरियशनिबेमिः॥इतिश्रीलोकविजयन उद्देस देषामीइकदीयबासउसेवक तिवारपनश्कामसवारीप्रमाणितनपकदाश्रमातावदनाय जनकलत्रादिकनिजभापणाएकदाशगउत्पादने रजोदेसाक्षरीथयो थारमनश्यारोगय संगरादिकऊपमासिवारसाएरअवस्खा
अवसिरितेदनशपरिवंदैश कहताविरुश्दोल कल्याणमस्तः ॥
यजीवकव्वाथाश्तकदेखना रतीयादेशाकसमाATHEMAarसएगटारोगसमुयाया/समुपतिनदिवासदिसंवसतिरिवाएगयामि

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