Book Title: Acharanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Mayachand Matthen
Publisher: Vikramnagar
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प्रापुरा कार्यविषया सेनिक नोट प्रोलीयाश्क जुना वो ए3 पदे रद्स्य जाणिवे । जेशनर उसारखक। कश्म कहता जेएनानाप्रकारचा स्त्र करी त्रसकाय कुलवित्रदारुषमा डियादिथिमादिकना वेदेषामहै। सूत्र ।लमा व्याख्या पूर्ववदनवत्र काय दिक भविष ने की बने परिता तरहवा जीवन विद्यासास जापवाच्य दो शिष्पदेषि। ज०० सयम तपल इलाज | समारंसकरी ॥ |पपीडते जी कि दबिश जाली निरद्यानु विष प्रदर्शित कर
पासा प्राडराय रितावत्ति | संतिपारणा पुढो सिया | लज माणा उढोपासणगारांमेोति | एमोपमाणा / जमियां विरूवावहिंस अनेक रूप दिया दिशांणीयाद तिहांखजुनिश्चेश्री सगदंत परिज्ञा प्रवेदि॥ इलिजीदतव्य
कायसमरसता त्रस काय समारंतता)
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चेदि । वस काय समारोल एं| तस काय स मंस मारल मारणे | लव रोगरुपाऐ विदिति । ततख सुराग वत्तायरिन्नापवे दिन्ना) इमस्साव प्रसंसा सुहाना (जन्ममा कावि दुस्खप्रतिघातनिमित्त) से० ते आपण सका शास्त्रसमारं दि हेति वान देति॥
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राइ॥
अनेरा कोई दजी वियरस परिवेक्षणमा | श्याए| जाईमर मोटाए | डरक पहियायदे | सेसयमे दत्तस कायमचे | समारंसति / अन्ने हिं सशस्करी उसकायनोप्रा रेलक | श्रशत्रस काय याकरता | आारंसनेमने करीव चुने करी । तेनादिती | प्रवेधितशीर तेरुब तेत्रका
तुम नहीं ॥
मोदिनी॥
यना सारस
जाउ
शव
वातस काय सञ्च समारंभविति । प्रान्नदिवा तस काय सञ्चं | समारं समाऐ सम फजा राति | तं सेो दियाए | तेसेचा बो दिए। सेलेसेबु सम्पदर्शन चारित्राद | सो० सगवंत अथवा अणगार नइ समीप सोल । इणिजगमादिक नइ एद दौना | एसकायनोस मारेसरख । त्रस कार्यनौ समा ली अभि बंधaa!! सामा गारवाच्चेतिए। इदमाग सिंस्पायं सर्वति | एसखसुगाथ / एस खलुमो
नशा
समाएायाणी समुहार । सोञ्चागद

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