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अचलगच्छ का इतिहास
११.१९२१ माघ सुदि ७ गुरुवार नेमिनाथ जिनालय, वही, लेखांक ८९४
शत्रुञ्जय १२.१९२१ माघ सुदि ७ गुरुवार । नेमिनाथ जिनालय, वही, लेखांक ८९५
शत्रुञ्जय १३.१९२१ माघ सुदि ७ गुरुवार केशव जी नायक वही, लेखांक ८९६
ट्रॅक, शत्रुञ्जय वि०सं० १९२१ के उक्त सभी लेखों में प्रतिमा प्रतिष्ठापक के रूप में रत्नसागरसूरि का नाम मिलता है जब कि उक्त तिथि के अन्य लेखों में इस गच्छ की परम्परानुसार रत्नसागरसूरि का केवल उपदेशक के रूप में ही नाम मिलता है द्रष्टव्यअंचलगच्छीयलेखसंग्रह, लेखांक ८९७-९३२. १४.१९२२ मार्गशीर्ष सुदि १३ जैनमन्दिर, कोडाय, वही, लेखांक ९३३ गुरुवार
कच्छ १५.१९२६ चैत्र सुदि १५ चिन्तामणि पार्श्वनाथ, वही, लेखांक ९३४
जिनालय, भुज-कच्छ १६.१९२६ ज्येष्ठ सुदि ४ रविवार । चन्द्रप्रभ जिनालय, वही, लेखांक ९३५
उदयपुर, राजस्थान १७.१९२७ माघ सुदि १३ शुक्रवार सुविधिनाथ जिनालय, वही, लेखांक ९३६
जखौ, कच्छ १८.१९२७ माघ सुदि १३ शुक्रवार सुविधिनाथ जिनालय, वही, लेखांक ९३७
जखौ, कच्छ १९.१९२७ माघ सुदि १३ शुक्रवार सुविधिनाथ जिनालय, वही, लेखांक ९३८
जखौ, कच्छ २०.१९२७ माघ सुदि १३ शुक्रवार सुविधिनाथ जिनालय, वही, लेखांक ९३९
जखौ, कच्छ २१.१९२७ माघ सुदि १३ शुक्रवार सुविधिनाथ जिनालय, वही, लेखांक ९४०
जखौ, कच्छ विवेकसागरसूरि
वि०सं० १९११ में कच्छ प्रान्त के छोटा आसंबिया नामक स्थान पर इनका जन्म हुआ। इनके पिता का नाम शाह टोकरशी और माता का नाम कुंताबाई था। इनका
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