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अचलगच्छ का इतिहास
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क्षमाकीर्ति
I
राजकीर्तिगणि
1
श्रुतकीर्ति
विजयकीर्ति
वि०सं० १६२५ में लिखी गयी कल्पसूत्रवृत्ति की प्रशस्ति में उल्लिखित क्षेमकीर्ति, जिनका ऊपर उल्लेख आ चुका है, और उक्त कल्याणमन्दिरस्तव की वि०सं० १६६७ की प्रशस्ति में उल्लिखित राजकीर्तिगणि एवं उनके क्षमाकीर्ति के बीच किस प्रकार का सम्बन्ध था, यह पता नहीं चल पाता है।
गुरु
जयकीर्तिसूरि
|
(वि० सं० १६६७ में कल्याणमन्दिरस्तव के प्रतिलिपिकार)
पं० भावकीर्ति I पं० क्षेमकीर्ति
(इनके पठनार्थ वि०सं० १६६७ में उक्त कृति की प्रतिलिपि की गयी)
लावण्यकीर्ति (अंचलगच्छ - कीर्तिशाखा के आदिपुरुष)
1
हर्षवर्धन गणि
श्रुतकीर्ति
I
विजयकीर्ति
(वि.सं. १६२५ में लिखित कल्पसूत्रवृत्ति की प्रशस्ति में उल्लिखित)
पं० क्षमाकीर्ति
1
राजकीर्तिगणि (वि.सं. १६६७ में कल्याणमन्दिरस्तव के प्रतिलिपिकार)
I
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