Book Title: Achalgaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 196
________________ Jain Education International कल्याणसागरसूरि वि.सं. १६६९/ कै.गु.मै., पृ.५३६,५६७.८५२. ० २- मदनशतक (जालौर में रचित) भीमरत्न उदयसमुद्र दयासागर (रचनाकार) देवसागरगणि वाचक पुण्यचन्द्र For Private & Personal Use Only माणिक्यचन्द्र विनयचन्द्र रविचन्द्र देवसागरगणि १- अभिधानचिन्तामणि पर |वि.सं. १६८६ | अंदि०, पृ० ३४१, ४११. व्युत्पत्तिरत्नाकर नामक टीका जि०र०को०, पृ० १३. २- कपिलकेवलीरास वि.सं. १६७४ | जै०गू०क०, भाग ३, पृ० १८७. कै०गु०म०, पृ० ६३०. (रचनाकार) | ३- शQजय की शिलाप्रशस्ति | वि.सं. १६७५] | एवं १६८३ सिद्धदत्तरास जै०गू०क०, भाग ३, पृ० ३४३. अं०दि०, पृ० ४०८. अचलगच्छ का इतिहास धनजी कल्याणसागरसूरि भीमरत्न उदयसमुद्र www.jainelibrary.org दयासागर

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