Book Title: Achalgaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 215
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org शीलरत्न संयममूर्ति 'प्रथम' संयममूर्ति 'द्वितीय' सहजरत्न सहजगणि उपाध्याय जयकीर्ति T शीलरत्न कमलमूर्ति (मेरु) संयममूर्ति विनयमूर्ति I संयममूर्ति धर्ममूर्तिसूरि सहजरल कल्याणसागरसूरि रत्नसागर (टीकाकार) (रचनाकार) ( रचनाकार) (रचनाकार) ४. चतुर्विंशतिजिनस्तवन ५- वीसविहरमानजिनस्तवन ६- अमरसागरगुरुभास जैनमेघदूतटीका कलावतीचौपाई चतुर्विंशतिजिनस्तव १- वैराग्यवीनती २- वीसविहरमानस्तवन ३. चौदहगुणस्थानकगर्भितवीरस्तव शीतलनाथस्तवन वि.सं. १७६१ वि.सं. १४९१ जै.सं.सा. इ., भाग २, पृ० २५०. वि.सं. १५९४ | जै०गू०क०, भाग १, पृ० ३३६. कै० गु०म० पृ० २०५ वि.सं. १६०५ जै. गू.क., भाग २, पृ० २२-२३. वि.सं. १६१४ वि.सं. १७८१ अं०दि०, पृ० ४९७. अचलगच्छीय मुनियों का साहित्यावदान १८९

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