Book Title: Achalgaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 227
________________ ५५. सी ५६. ६२. परिशिष्ट २०१ ५४. ओंठे गुंजे गीत – हैये प्रभुनी प्रीत श्री जयशेखरसूरि, भाग १ (पी-एच०डी० महानिबन्ध) ले०- सा०श्री मोक्षगुणाश्री जी श्री जयशेखरसूरि भाग २ (पी-एच् डी० महानिबन्ध) ५७. चालो जिनालयनी वर्षगांठ उजवीओ. ५८. अचलगच्छनी प्रतिभा (संक्षिप्त पट्टावली) ५९. पुरुषार्थनी प्रेरणमूर्ति (आ० कलाप्रभसागरसूरि जीवन परिचय) ६०. जम्बुस्वामीचरित्र-प्रताकार (जयशेखरसूरि कृत-पद्य) ६१. जम्बूस्वामीचरित्र-प्रताकार (भाषांतर) त्रिभुवनदीपकप्रबन्ध-एक अध्ययन, (जयशेखरसूरि कृत) सं०-सा० मोक्षगुणाश्री जी हिन्दी साहित्य ६३. भक्ति नैया : देवदर्शन – गुरुवंदन व सामायिक की विधि. ६४. प्रार्थना : नवस्मरण-भक्तामर व चमत्कारिक सरस्वतीस्तोत्र. ६५. बोलो सुबह शाम (द्वितीय आवृति) लघुपुण्य प्रकाश स्तवन – दादा गुरुदेव इक्कीसा, गौतमस्वामी रास आदि। तपसुं बेड़ो पार : सिद्धाचलजी, सम्मेतशिखरजी तीर्थ व ज्ञानपंचमी बीसस्थानक तथा वर्धमान तप की आराधना विधि। ६७. रेडी वन टू थ्री (द्वितीय आवृति) बालयोग्य खेल के साथ मात्र १ दिन पालने के सरल नियम। वंदन से कर्म खण्डन : देवदर्शन व गुरुवंदन विधि। पढ़ो आगे बढ़ो - श्रावक की आराधना के दस अधिकार दैनिक-रात्रिक-वार्षिक आदि कर्तव्य तथा जीवविचार नवतत्त्व प्रश्नोत्तरी. यादों के साथ-साथ : अचलगच्छाधिपति आशुकवि आचार्य श्री गुणसागरसूरीश्वरजी __महाराज विरचित प्रथम चौबीसी सहित ७७ भाववाही स्तवनों का संग्रह। त्वमेवशरणं मम:, पुष्प नं० १-२-३-४ का अजोड़ संग्रह। ७२. त्वमेव शरणं ममः, प्रथम पुष्प : सूरम्य ४५० स्तुतियों का संग्रह। त्वमेव शरणं ममः, द्वितीय पुष्प : चित्ताकर्षक ७० चैत्यवंदनों का संग्रह। ७४. त्वमेव शरणं ममः, तृतीय पुष्प : शुभभावाही २०० स्तवनों का संग्रह। ७५. त्वमेव शरणं ममः, चतुर्थ पुष्प : सुमधुर १३२ स्तुतियुगलों का संग्रह। ७६. प्रतिक्रमणं पापनाशनं : पंचप्रतिक्रमण मूल-सूत्र संक्षिप्त-भावार्थ व विधियाँ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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