Book Title: Achalgaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 235
________________ सहायक ग्रन्थ-सूची २०९ ५३. मेरुतुंगबालावबोधव्याकरण, सम्पा०- आचार्य कलाप्रभसागरसूरि, संशोधक प्रो० नारायण म० कंसारा, प्रकाशक- आर्य जय कल्याण केन्द्र, देरासर लेन, घाटकोपर (पूर्व), मुम्बई १९९८ ई०. ५४. यतीन्द्रसूरिअभिनन्दनग्रन्थ, सम्पा०-पं० लालचन्द भगवानदास गांधी तथा अन्य, प्रका०- श्री सौधर्मबृहत्तपागच्छीय संघ, फालना १९५८ ई०. ५५. राधनपुरप्रतिमालेखसंग्रह, सम्पा०- मुनि विशालविजय, प्रका०- यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर १९६० ई०. ५६. लींबडीजैनज्ञानभण्डारनी हस्तलिखितप्रतिओनुं सूचीपत्र, सम्पा०-प्रवर्तक कांतिविजय के शिष्य चतुरविजय, प्रका०-आगमोदय समिति, मुम्बई १९२८ई०. ५७. विजयवल्लभसूरिस्मारकग्रन्थ, सम्पा०- भोगीलाल सांडेसरा तथा अन्य, प्रका०- महावीर जैन विद्यालय, मुम्बई १९५६ ई०. ५८. विज्ञप्तिलेखसंग्रह, सम्पा०- मुनि जिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्या भवन, मुम्बई १९६० ई०. ५९. विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, सम्पा०-मुनि जिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्या भवन, मुम्बई १९६१ ई०. ६०. श्रीप्रतिमालेखसंग्रह, सम्पा०- दौलतसिंह लोढ़ा, प्रका०- यतीन्द्र साहित्य सदन, धामणिया १९५५ ई०. ६१. श्रीप्रशस्तिसंग्रह, सम्पा०- अमृतलाल मगनलाल शाह, प्रका०- श्री देशविरति धर्माराजक समाज, अहमदाबाद वि०सं० १९९३. ६२. श्रीस्वर्णगिरिजालोर, लेखक- श्री भंवरलाल नाहटा, प्रका०- प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर एवं बी०जे० फाउण्डेशन, कलकत्ता १९९५ ई०. ६३. शत्रुञ्जयगिरिराजदर्शन, मुनि कञ्चनसागर, प्रका०- श्री आगमोद्धारक ग्रन्थमाला, कपडवज १९८२ ई०. ६४. शत्रुञ्जयवैभव, सम्पा०-मुनि कान्तिसागर, प्रका०- कुशल संस्थान, जयपुर १९९० ई०. ६५. शासनप्रभावकश्रमणभगवंतो, भाग १-२, सम्पादक- श्री नन्दलाल देवलुक, प्रका०- श्री अरिहन्त प्रकाशन, भावनगर १९९२ ई०. ६६. समग्रजैनचातुर्माससूची, वर्ष १९९७-२०००, सम्पा०- श्री बाबूलाल जैन 'उज्जवल', मुम्बई १९९७-२०००. ६७. हिन्दीजैनसाहित्य का बृहद्इतिहास, लेखक-शितिकंठ मिश्र, भाग १-४, प्रका०-पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी १९८७-९८ ई०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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