Book Title: Achalgaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 206
________________ मूलावाचक धर्ममूर्तिसूरि Jain Education International १. गजसुकुमालसन्धि २. चैत्यवन्दन रत्नप्रभ | वि.सं. १६२४ | जै.गू.क., भाग २, पृ. १३७-३८. वि.सं. १६७० | कै०गु०मै०, पृ० २३९. के पूर्व (रचनाकार) मेघराज सत्तरभेदीपूजा अं०दि०, पृ० ३६७-६८. कैoगु०मै०, पृ० ५५. मूलावाचक वेलराज पुण्यलब्धि भानुलब्धि मेघराज वा० नाथगणि (रचनाकार) For Private & Personal Use Only अचलगच्छ का इतिहास मेरुचन्द्रगणि द्रौपदीरास वि.सं. १७०० के०गु०मै०. पृ० ६७३. धर्मचन्द्र मुनि मेरुचन्द्रगणि (रचनाकार) महेन्द्रप्रभसूरि (अचलगच्छ के १०वें पट्टधर) मेरुतुंगसूरि १- कामदेवचरित्र २. नाभाकनृपकथा | वि.सं. १६६४ | जि०र०को०, पृ० ८४. जै०सा०बृ०३०, भाग ६, पृ० १९७, ३१२. जैसा०सं०३०. कण्डिका ६५१, ६८१, ६८२, ७१५. ३. मेघदूतसटीक www.jainelibrary.org

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