Book Title: Achalgaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 202
________________ 'प्रथम' सोमरत्न क्षेत्रसमासरास Jain Education International वि.सं. १५९४ | जै०गू०कo, भाग १, पृ० ३३७ कै०गु०मै०, पृ० ६४५. गुणमेरु मतिसागर ललितसागर (रचनाकार) मतिसागर "द्वितीय (१७वीं शती अन्तिम चरण) मतिसागर (रचनाकार) For Private & Personal Use Only १. आदिजिनस्तवन कै०गु०मै०, पृ० २३४. २- अजितजिनस्तवन ३- शांतिजिनस्तवन ४- इदलपुरमंडनपार्श्वनाथ स्तवन ५- चिन्तामणिपार्श्वनाथस्तवन ६- शंखेश्वरपार्श्वनाथस्तवन ७- महावीरस्तवन षडावश्यकविवरणसंक्षेपार्थ | वि.सं. १६वीं | जै०गू०कo, भाग १, पृ० ३६६. शती वही, भाग ४, पृ० ३१४. जैनमेघदूतटीका वि.सं. १५४६ | जै.सं.सा.इ., भाग २, पृ० २५०. अचलगच्छ का इतिहास महिमासागर उपा० | जयकेशरसूरि महीमेरुगणि www.jainelibrary.org महिमासागर उपा० (रचनाकार) जयकीर्तिसूरि महीमेरुगणि (रचनाकार) धर्मघोषसूरि महेन्द्रसूरि १- शतपदीसमुद्धार | वि.सं. १२९४ | जि०र०को०, पृ० २५.

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