Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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- योगदर्शन 2/30 अहिंसा, सत्य, अस्तेय (अचौर्य), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह-ये पाँच यम हैं। 5. सार्वभौमिक व्रत
एते तु जातिदेशकालसमया न वच्छिन्नाः सार्वभौमा महाव्रतम् ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1391]
- योगदर्शन - 2/31 जाति, देश, काल और समय आदि की सीमा से रहित सार्वभौम (सदा और सर्वत्र) होने पर ये ही अहिंसा, सत्य आदि महाव्रत हो जाते हैं। 6. स्वर्ग से महान् जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1415]
- वाचस्पत्यभिधान (कोश) जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। धर्मनिष्ठ-धर्मविहीन आत्मा अत्थेगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग । पृ. 1417] - भगवती 12/
29 . धर्मनिष्ठ आत्माओं का बलवान होना अच्छा है और धर्महीन आत्माओं का दुर्बल रहना। 8. ब्राह्मण कौन ?
जो न सज्जइ आगंतुं, पव्वयं तो न सोयई । रमइ अज्ज-वयणम्मि, तं वयं बूम माहणं ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1420]
- उत्तराध्ययन 25/20 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड-4 • 58
- श्री अभिAIMAN