Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 203
________________ अभियान राजन 1988 2117 सक्ति का अश 142. संजोग सिद्धीइ फलं वयंति । 170. संसारे निवसन् स्वार्थसज्जः । 176. संकाभीओ न गच्छेज्जा । 220. संतोषादनुत्तम सुख-लाभः । 224. संसारे स्वप्नन्मिथ्या तृप्तिः । 270. संसर्गजा दोषगुणाभवन्ति ।। 290. संसरइ सुभासुभेहि कम्मेहिं । 307. संतिमग्गं च बूहए। 334. संजमति नो पगब्भति । 342. संबुज्झह किं न बुज्झह । 344. संबोही खलुपेच्च दुल्लभा । 410. संखाय धम्मंच वियागरेंति। +46. संयमः सुनृतं शौचं । 467. संखाय पेसलं धम्मं दिट्ठिमं । 2147 2226 2242 2493 2570 2573 2674 2677 2677 2712 2734 2766 135. स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य । 134. स्वे स्वे कर्मण्यभिरतः । 1985. 1985 282. शकटं पञ्चहस्तेन । 2555 2205 2720 .205. शारीराद्वाङ्गमयं सारं । 418. शास्त्र सर्वार्थसाधनम् । 425. शास्त्रे भक्तिर्जगदवन्द्यैः ।। 427. शास्त्रं पुण्यनिबन्धनम् । शौ 219. शौच सन्तोष तपः स्वाध्यायेश्वर । 2720 2720 2226 395. हम्ममाणो न कुष्पेज्जा । + 2705 385. होलावायं सहीवायं । 2704 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 . 195

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