Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 201
________________ 353. विहंगमा व पुफ्फेसु । 393. [विवेगे धम्ममाहिए] विवेगे एस माहिए । 414. विभूसा इत्थि संसग्गी । वी 237. वीरेहि एवं अभिभूयदि । 2688 2705 2713 2345 390. वुच्चमाणो न संजले । 2705 314. वेराणुबद्धा नरगं उर्वति । 338. वेराणुगिद्धे णिचयं करेंति । 378. वेधादीयं च णो वदे । ० नम 2645 2676 2703 302. वोच्छिद सिणेहमप्पणो । 2572 1421 1814 1815 14. समियाए समणो होइ।। 83. सद्ध नगरं किच्चा । 86. सव्वमप्पे जिए जियं । 96. सल्लं कामा । 136. सत्येन लभ्य तपसा । 138. सर्वं कर्माखिलं पार्थ ! 203. सत्कार मानपुजाऽर्थं । 217. सव्वे पाणा परमाहम्मिया । 251. सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्षमार्गः । 274. सर्वं परवशं दुःखं । 319. सत्वतो संवुडे दंते । 329. सयासीलं संपेहाए । 364. सव्वे पाणा सव्वे भूया । 367. सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसि । 448. सव्व गेहि परिण्णाय । 1818 1985 1986 2205 2213 2429 2519 2667 2674 2697 2697 2760 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 • 193

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