Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
View full book text ________________
अभिधान राजेन्द्र का माग पृष्ठ।
सक्ति का अंश
।
E
184. लावण्य लहरीपुण्यं वपुः ।
4
2182
2117
168. लिप्यते पुद्गलस्कन्धो । 169. लिप्तताज्ञानसम्पात ।
2117
लो
1818
102. लोहाओ दुहओ भयं । 422. लोके मोहान्धकारेऽस्मिन् ।
2720
2074 2410 2665 2688 2700 2731 2764
1980
158. वयणं विन्नाण फलं। 248. वत्स! किं चंचलस्वान्तो। 315. वचनादविरुद्धद्यदनुष्ठानं यथोदितम् । 355. वयं च वित्ति लब्भामो । 369. वरं प्रवेष्टुं ज्वलितं हुताशनम् । +43. वपनं धर्मबीजस्य । 460. वसट्टा कायरा जणा लूसगा भवन्ति ।
वा 132. वादाँश्च प्रतिवादाँश्च ।
वि 31. विरता उ न लग्गति ।। 84. विगइ संगामो भवाओ परिमुच्चई । 100. विसं कामा । 104. विणियट्टन्ति भोगेसु । 123. विषयप्रतिभासाख्यं । 128. विणएण लहइ नाणं । 211. विविहगुण तवो रए य निच्चं । 218. वित्तं पसवो य तं बाले । 229. विषयोर्मि विषोद्गारः । 241. विणयमूले धम्मे पत्ते । 285. विहुणाहि रयं पुरे कडं।
+ 1422-2699
1811
1818 1819 1978
1980
2206 2220
2242
2401 2569
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 . 192
Loading... Page Navigation 1 ... 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262