Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 198
________________ सहक का अश माग पृष्ठ 62. भूतेहिं न विरुज्झेज्जा। + 1565 1422 33. भोगी भमइ संसारे । 371. भोगे अवयक्खता । 2701 185. भ्रमवाटी बहिर्दृष्टि । 2182 । 127. मज्जत्यज्ञः किलाज्ञाने । 191. महाव्रती सहस्रेषु । 204. मनः प्रसादः सौम्यत्वं । 354. महुकार समाबुद्धा। 374. मणसा कायवक्केणं । 420. मलिनस्य यथाऽत्यन्तं । 1980 2183 2205 2688 2701 2720 मा 1816 1818 92. मासे मासे तु जो बालो। 101. मायागइ पडिग्घाओ। 103. माणेणं अहमागई। 149. मा नाणीणमवणं । 303. मावंतं पुणो विआविए । 372. माता-पिता ण्हुसाभाया । 389. मातिट्ठाणं विवज्जेजा। 1818 1996 2572 2701 2704 165. मुत्तनिरोहे चक्खू । 44 2116 2162 2202 178. मूत्रोत्सर्ग मलोत्सर्ग । 197. मूलोत्तरगुणश्रेणि । 208. मूढ्ग्रहेण यच्चाऽऽत्म । 259. मूलं धम्मस्स दया । 2205 2457 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 . 190 % 3D

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