Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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सूक्ति
सूक्ति का अंश
222. पीत्वा ज्ञानामृतं भुक्त्वा । 347. पीईकरो वण्णकरो, भासकरो 1
पु
42.
पुव्वभवा सो पिच्छइ ।
94.
पुढवी साली जवा चेव ।
365. पुव्वं णिकाय समयं पत्तेयं ।
455. पुट्ठा वेगे नियति ।
330. पूव्वावररायं जतमाणे । 366. पूढो पूढो जाई पकप्पेंति ।
27. म्भरेण भो ।
183. बाह्य यद्दष्टे : सुधासार । 362. बालः पश्यति लिङ्गं । 407. बाले पुण निहे काम समणुण्णे । 461. बाल वयणिज्जा ह ते णरा ।
बु
78.
बुद्धो भए परिच्चइ | 306. बुद्धे परिनिव्वुए चरे ।
57.
भदं मिच्छादंसण | 188. भस्मना केशलोचेन ।
210. भवइ निरासए निज्जरट्ठिए ।
333. भवे अकामे अझंझे ।
341. भवकोटी दुष्प्रापा - मवाप्य । 440. भवजलहिम्मि अपारे ।
पू
236.
384.
ब
बा
भ
भा
अभिधान राजेद्र काम
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4
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4.
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भावे य असंजमो सत्थं । भासमाणो न भासेज्जा ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड - 4 • 189
4
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