Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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2724 2724
2724 + 2724 + 2726 + 2761-62
सक्ति का अश 432. जया जोगे निलंभित्ता । 433. जया संवर मुक्कटुं। 434. जया निविदए भोए । 435. जया मुडे भवित्ताणं । 439. जह चिंतामणिरयणं । 451. जहा से दीवे असंदीणे।
जा 9. जायरूवं जहामढें । 45. जागरहा णरा णिच्चं । 48. जागरित्ता धम्मीणं अधम्मियाणं । 49. जागरह णरा णिच्चं ।
जि 56. जिणवयणे अणुरत्ता ।। 76. जितेन्द्रियस्य धीरस्य ।
+ 1420 + 1447 + 1447-48. + 1447
1502
1673
58. जीवे ताव नियमा जीवे । 61. जीवा चेव अजीवा य । 63. जीवियासामरणभय विप्पमुक्का । 286. जीवियए बहुपच्चवायए । 291. जीवो पमाय बहुलो । 326. जीवदया सच्चवयणं ।
+ 1519-1530 + 1561
1566 2569 2570 2673
327. जुद्धारिहं खलुं दुल्लहं।
नाब
2674
164. जे मारदंसी से णिरयदंसी। 180. जे ते उ वाइणो एवं । 238. जे पमत्ते गुणट्ठिए से हु। 325. जे पुबुट्ठाई, णो पच्छ-णिवाती । 396. जे दूमण तेहि णो णया । 404. जे अणण्णदंसी से अणण्णारामे ।
2109 2172 2346 2673 2706 2712
+
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 • 182
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