Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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आभयान राजनक
नम्बरससि का अश 137. उभाभ्यामेवपक्षाभ्यां । 167. उड्ढं निरोहे कोढं । 294. उत्तमधम्म सुई हु दुल्लहा । 331. उवेहमाणे पत्तेय सातं वण्णादेसी। 356. उक्किटुं मंगलं धम्मो । 421. उपदेशं विनाऽप्यर्थ । 458. उवेहइणं अणाणाए ।
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5. एते तु जातिदेशकालसमया । 29. एवं लग्गति दुम्मेहा जे नरा । 41. एगंत सुहावहा जयणा । 117. एगे नाणे । 231. एकाहारी दर्शनधारी । 262. एग दव्वस्सिया गुणा । 406. एस वीरे पसंसिए । 430. एगा धम्मपडिमा ।
क 15. कम्मुणा बम्भणो होइ । 21. कम्माणि बलवन्ति हि । 40. कहं चरे? कहं चिट्ठे ? 51. कत्थ व न जलइ अग्गी । 139. कर्मणा बध्यते जन्तुः । 310. कलहकरो डमरकरो।
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98. कामे पत्थेमाणा। 99. कामा आसी विसोवमा । 308. कालं अणवकंखमाणो विहरइ । 464. कायस्स वियावाए एस संगाम ।
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22. कुसचीरेण न तावसो । 72. कुण्ठीभवन्ति तीक्ष्णानि ।
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(
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 . 179
)
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