Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

View full book text
Previous | Next

Page 185
________________ अकारादि अनुक्रमणिका 1389 1391 1417 1421 1422 1422 1422 1448 1478 1536 1617 1633 1. अध्यापनं ब्रह्मयज्ञः । 4. अहिंसा-सत्यऽस्तेय । 7. अत्थेगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साहू । 17. अलोलुयं मुहाजीवी । 32. अभोगी नो व लिप्पई । 34. अभोगी विप्पमुच्चइ । 35. अजय चरमाणो उ पाणभूयाइं हिंसई । 50. अत्यंगतियाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू । 55. अप्पाहारस्स ण इंदिआई । 59.. अम्मापिउणो सरिसा । 65. अयं निजः परोवेत्ति । 69. अवश्यमेव भोक्तव्यं । 89. · अप्पाणमेव अप्पाणं जईत्ता सुहमेहए । 90. अप्पाणमेव जुज्झाहि । 97. अहे वयइ कोहेणं ।। 118. अक्खरस्स अणंतभागो। 129. अस्ति चेद् ग्रन्थिभिद् ज्ञानं । 144. अणंतोऽवि य तरिठं। 148. अत्थधरो तु पमाणं। 155. अतिपरिचयादवज्ञा, भवति । 156. अतिपरिचयादवज्ञा । 166. अभ्यास वैराग्याभ्यां तन्निरोधः । 171. अलिप्तो निश्चयेनात्मा । 182. अन्नो जीवो, अन्नं सरीरं । 202. अनुद्वेगकरं वाक्यं । 227. अट्टविहं कम्मरयं । 230. अकुव्वतो णवं णस्थि । 233. अपुव्वणाणग्गहणे । 243. अव्वए वि अहं, उवट्ठिए वि अहं । 1815 1815 1818 1939 1980 1990 1995 2070 2070 2116 2117 2173 2205 2242 2246 2295 2403 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4. 177

Loading...

Page Navigation
1 ... 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262