Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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उत्तराध्ययन
9/53
काम - भोग की इच्छा करनेवाले उनका सेवन न करते
दुर्गति में चले जाते हैं।
99. काम,
विषधर
कामा आसीविसोवमा ।
काम - भोग विषधर सर्प के समान है ।
100. काम - जहर
विसं कामा ।
काम - भोग विषतुल्य है ।
101. दम्भ - परिणाम
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1818 ] उत्तराध्ययन 9/53
मायागइ पडिग्घाओ ।
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1
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1818 ] उत्तराध्ययन 9/53
उत्तराध्ययन 9/54
दम्भ से सुगति का विनाश होता है।
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102. लोभ परिणाम
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1818 ]
लोहाओ दुहओ भयं ।
हुए भी
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1818] उत्तराध्ययन 9/54
लोभ से ऐहिक ओर पारलौकिक दोनों प्रकार का भय होता है ।
103. अभिमान - परिणाम
माणं अहमाई ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग पृ. 1818 ]
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड-4 • 82